पुरे भारतवर्ष में हजारो भक्त Mangalwar Vrat का संकल्प लेते है। भारत के कई प्रदेशो में मंगलवार व्रत का संकल्प विभिन्न कारणों से लिया जाता है। कोई इस व्रत का पारण भगवान श्री गणेशजी को समर्पित होके करता है तो कोई श्री बजरंग बलि को समर्पित होके। कई लोग मंगलवार का व्रत ज्योतिषीय कारणों से भी करते है। कई भक्तो की कुंडली में मंगल दोष की बाधा पाई जाती है तो उस दोष के निवारण के लिए कई ज्योतिष जातक को Mangalwar Vrat करने का सुझाव देते है। इस लेख में हमने Mangalwar Vrat Katha का विवरण प्रभु श्री हनुमानजी को लक्ष में लेके किया है, अतः अगर आप प्रभु श्री हनुमानजी को ध्यान में रख कर इस व्रत का अनुष्ठान करते है तो आप इस कथा का पठन अवश्य करे; अन्य भक्त गण भी इस कथा का पठन कर के भगवान श्री हनुमान जी कृपा प्राप्त कर सकते है। तो आइये मंगलवार व्रत कथा का महात्मय जान लेते है।
मंगलवार व्रत का महात्मय (Mangalwar Vrat Ka Mahatmay)
मंगलवार व्रत पूर्ण रूप से महावीर हनुमान जी को समर्पित है। इस दीन जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धाभाव से व्रत का अनुष्ठान करता है उसे भगवान महावीर हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को पुरे विधि विधान से करने पर महावीर हनुमान जी मनुष्य की सभी मनोकामनाये पूर्ण करते है।

मंगलवार व्रत की कथा (Mangalwar Vrat Ki Katha)
एक समय की बात है एक नगर में एक ब्राह्मण दम्पति रहा करते थे। दोनों हनुमाजी के परम भक्त थे। किन्तु दोनों निःसंतान थे इसी कारण वश वे दुखी रहा करते थे। संतान प्राप्ति की इच्छा मन में रखते हुए दो नो नित्य हनुमानजी का पूजन और कीर्तन किया करते थे। ब्राह्मण वन में स्थापित हनुमानजी के मंदिर उनकी पूजा करने जाया करता था और उनसे पुत्र प्राप्ति की कामना किया करता था। वंही ब्राह्मणी घर पर रह पुत्र प्राप्ति की कामना लिए मंगलवार का व्रत किया करती थी। वह अपने व्रत अनुष्ठान में प्रभु श्री हनुमानजी को भोग लगा कर ही भोजन किया करती थी।
एक बार किसी कारणवश ब्राह्मणी ना तो भोजन बना पाई ना ही भगवान हनुमानजी को भोग लगा पाई। उसने खुद से ही एक प्रण किया की वो अगले मंगलवार को प्रभु श्री हनुमानजी को भोग अर्पण करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करेंगी।
ब्राह्मणी ने पुरे छे दीन भूखी प्यासी रह कर भगवान हनुमानजी की आराधना करते करते व्यतीत कर दिए। मंगलवार के दीन वो मूर्छित हो गई। ब्राह्मणी की सत्यनिष्ठां और अपने वचन पर अडिग हो ने के कारण भगवान महावीर उस पर प्रसन्न हुए। ब्राह्मणी के व्रत से होकर महावीर हनुमान जी ने उसे एक सुन्दर और तेजस्वी पुत्र दिया और कहा की यह तुम्हारी बहोत सेवा करेगा।
हनुमान जी से वरदान स्वरुप बालक को पाके ब्राह्मणी अति प्रसन्न थी। मंगलवार के दीन उसे इस बालक की प्राप्ति हुई थी अतः उसने बालक का नाम “मंगल” रखा था। कुछ समय बीत जाने पर ब्राह्मण पुनः अपने घर वापस आये और इस बालक को देख ब्राह्मणी से पूछने लगे की यह बालक कौन है?
उत्तर में ब्राह्मणी ने कहा की मंगलवार व्रत की पूर्ति से भगवान महावीर उस पर प्रसन्न हुए और उन्होंने ही उसे वरदान स्वरुप इस बालक को दिया है। ब्राह्मणी की बात सुनने पर भी ब्राह्मण को उस पर विश्वास नहीं हुआ और एक दीन मौका पा कर उसने उस बालक को कुवे में धकेल दिया और उसके प्राण ले लिए।
जब ब्राह्मणी घर वापस आई तो वह बड़ी व्याकुलता से बालक मंगल को पूछने लगी –
ब्राह्मणी – “मंगल कहा हे?”
अपनी माता की आवाज़ सुन कर बालक मंगल पीछे से आकर ब्राह्मणी से लिपट गया। जब ब्राह्मण ने ये सारा दृश्य देखा तो वो चकित रह गया। उसी दीन रात्रि को स्वप्न में महावीर हनुमान जी ब्राह्मण को दिखे और उन्होंने कहा की उन्होंने ही ये पुत्र तुम्हारी पत्नी को मंगलवार व्रत की पूर्ति के उपलक्ष में वरदान रूप दिया है।
ब्राह्मण को सत्य का ज्ञान होते ही वो बहुत ख़ुश हुआ और इसके बाद दोनों ब्राह्मण दम्पति प्रत्येक मंगलवार को पूर्ण श्रद्धाभाव से व्रत का अनुष्ठान करने लगे।
जो भी मनुष्य पूर्ण श्रद्धाभाव से मंगलवार का व्रत पूर्ण विधि विधान से करता है और व्रत की कथा का पठन या श्रवण करता है उसे भगवान महावीर हनुमानन जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भगवान हनुमान जी उनके सभी कष्ट हर लेते है।
अगर आप भी माता संतोषी के भक्त है और शुक्रवार का व्रत करते है तो आपको “शुक्रवार व्रत कथा – संतोषी माता व्रत कथा सम्पूर्ण” जरूर पढ़नी चाहिए।
मंगलवार व्रत पूजा विधि (Mangalwar Vrat Pooja Vidhi)
इस दीन यजमान को सूर्योदय से पहले उठ कर गंगाजल से स्नान करना चाहिये। फिर जिस स्थान पर भगवान महावीर हनुमान जी स्थापना करनी हो उसे पवित्र गंगाजल या गौमूत्र से स्वच्छ करें। फिर सुन्दर रंगोली बना कर उस पर चौकी को रखे और चौकी पर महावीर हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर की स्थापना करें। भगवान को अबिल, ग़ुलाल, और सिंदूर का श्रुँगार अर्पित करें। उसके पश्चात भगवान को सुगन्धित पुष्प और धुप अर्पित करें। फिर भगवान की समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और भगवान की पूर्ण श्रद्धा और भक्तिभाव से आरती उतारे। फिर भगवान महावीर को भीग अर्पित करें और फिर उसे अपने स्वजनों और भक्तो में बाँट दे। अपनी शक्ति अनुसार ब्राह्मणो को दान दे और हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
इस प्रकार भगवान महावीर हनुमान जी की पूजा आराधना करने से मनोवंचित फल की प्राप्ति निश्चितरूप से होती है।
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