फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सम्पूर्ण – Falgun Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha Sampurn In Hindi

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी कब है? (Falgun Sankashti Ganesh Chaturthi Kab Hai?)

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी इस साल 28 फरवरी 2024, बुधवार को है।

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी चंद्रोदय समय (Falgun Sankashti Ganesh Chaturthi Chandroday Samay)

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी चंद्रोदय का समय 28 फरवरी 2024, बुधवार को रात्रि के 09 बजकर 51 मिनट (09:51 PM) पर है।

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी तिथि (Falgun Sankashti Ganesh Chaturthi Tithi)

प्रारंभ – 28 फरवरी 2024 बुधवार को सुबह 1 बजकर 53 मिनट (01:53 AM) से
समाप्त – 29 फरवरी 2024 गुरूवार को सुबह 04 बजकर 18 मिनट (04:18 AM) तक

Falgun Sankashti Ganesh Chaturthi Katha

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी कथा (Falgun Sankashti Ganesh Chaturthi Katha)

संकट चतुर्थी का पर्व हर गणेश भक्तो के लिये विशेष माना जाता है। यहाँ हर माह को आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को “संकष्टि चतुर्थी” के नाम से जाना जाता है। यह पर्व माता पार्वती के प्रिय पुत्र भगवान श्री गणेश को समर्पित है। इस दिन भगवान श्री गणेश का विधि विधान से पूजन और संकष्टि चतुर्थी व्रत का अनुष्ठान करना चाहिये। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष को आने वाली चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टि चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

एक समय की बात है। पूर्वकाल में एक धर्मनीष्ठ राजा का राज था। वाह राजा अत्यंत आदर्श और धर्मात्मा था। उनके राज्य में एक अत्यंत सज्जन और धर्मनीष्ठ ब्राह्मण हुआ करते थे जिनका नाम था – विष्णु शर्मा।

विष्णु शर्मा का रहन सहन अत्यंत सामान्य था। उनके सात पुत्र थे और सभी पुत्र अलग अलग रहा करते थे। विष्णु शर्माजी परम गणेश भक्त थे और सदैव भगवान गणेश की संकष्टि चतुर्थी का व्रत किया करते थे। परंतु अब वे वृद्धावस्था में पहुंच गये थे और उनसे गणेश चतुर्थी के व्रत का पालन करना कठिन हो रहा था, इसलिए वो चाहते थे की मेरी बहुएँ मेरी जगा इस व्रत को करें।

एक दिन उन्होंने सभी पुत्रो को अपने घर आमंत्रित किया और सांय के भोजन के बाद उन्होंने अपनी सभी बहुओ से यह व्रत करने की कामना व्यक्त की। विष्णुजी के कामना सुन कर सभी बहुओ ने साफ माना कर दिया इतना ही नहीं उन्होंने विष्णुजी का घोर अपमान भी किया। केवल सबसे छोटी बहु ने उनकी बात मान ली। सबसे छोटी बहु धर्मनीष्ठ और साफ मन की थी अपने ससुर को वो पिता का दर्जा देती थी। उसने पूजा के लिये लगते सभी सामान की व्यवस्था की, और ससुर के साथ खुद भी व्रत रखा और भोजन नहीं किया लेकिन अपने पिता समान ससुर को भोजन करवा दिया।

आधी रात का समय था और विष्णु शर्मा जी की तबियत अचानक से बिगड़ गई। उन्हें दस्त और उल्टिया होने लगी। छोटी बहु ने अपना कर्तव्य निभाते हुए मल-मूत्र से ख़राब हुए ससुर जी के कपडे साफ किये और उनके शरीर को धोया और स्वच्छ किया। वो पूरी रात बिना कुछ खाये पिए ससुर जी की सेवा में जागति रही।

व्रत के दौरान चंन्द्रोदय होने पर उसने स्नान किया और पूर्ण श्रद्धाभाव से श्री गणेश जी का पूजन और पाठ भी किया। उसने विधिवत पारण किया और इन कठिन परिस्थिति में भी खुद का धैर्य नहीं खोया। श्री गणेश जी पूजा और अपने पिता समान ससुर जी की सेवा पूर्ण श्रद्धाभाव से करती रही।

छोटी बहु की इस निस्वार्थ सेवा और व्रत उपासना से भगवान श्री गणेश उस पर प्रसन्न हुए और ससुर और छोटी बहु दोनों पर अपनी कृपा की। अगले दिन ससुर जी का बिगाड़ा हुआ स्वास्थ्य ठीक होने लगा और व्रत के पुण्यफल से छोटी बहु का घर धन धान्य से भर गया। छोटी बहु की स्थिति को देख अन्य बहुएँ भी इस व्रत से प्रभावित हुई और उनको अपनी करनी पर पछतावा होने लगा। उन्होंने बिना विलम्ब किये अपने पिता समान ससुर जी के पैर छू कर उनसे क्षमा याचना की और उन्होंने भी फाल्गुन कृष्ण पक्ष की संकष्टि गणेश चतुर्थी का व्रत किया। इतना ही नहीं उन्होंने अब से साल भर आने वाली हर संकष्टि गणेश चतुर्थी करने का शुभ संकल्प भी लिया। भगवान श्री गणेश की असीम कृपा से सभी का स्वभाव सुधर गया।

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