Navgrah Chalisa | नवग्रह चालिसा

Navgrah Chalisa का पठन ज्योतिष शास्त्र की दृष्टी से अति उत्तम माना गया है। कहा जाता है हर मनुष्य के जीवन में Navgrah का विशेष प्रभाव रहता है। मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन इन्ही नवग्रह की गति विधि पर निर्भर करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य की कुंडली में नवग्रह विद्यमान होते है। इन्ही नव ग्रहों की कृपा से मनुष्य के जीवन मे सुख शांति और समृद्धि आती है। ज्योतिष शास्त्र में इन नव ग्रहों की आराधना का विशेष महत्व है। सूर्य, चंद्र, राहु, केतु, बुद्ध, गुरु, शुक्र, शनि और मंगल यह नव ग्रह मनुष्य की कुंडली मे बिराजमान होते है। अगर कोई मनुष्य इन ग्रहों की सच्चे मन से आराधना करता है तो उसे इस आराधना विशेष फल प्राप्त होता है। Navgrah Chalisa का पठन ग्रह शांति, नवग्रह शांति हवन, नवग्रह जाप आदि नवग्रह पूजन विधि में किया जाता है। यदि कोई भक्त Navgrah Chalisa का सच्चे मन से पाठ या श्रवण करता है उसे नवग्रहों की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

नवग्रह चालीसा (In Hindi)

Navgrah Chalisa

॥ दोहा ॥


श्री गणपति गुरुपद कमल,
प्रेम सहित सिरनाय ।
नवग्रह चालीसा कहत,
शारद होत सहाय ॥

जय जय रवि शशि सोम बुध,
जय गुरु भृगु शनि राज।
जयति राहु अरु केतु ग्रह,
करहुं अनुग्रह आज ॥

॥ चौपाई ॥


॥ श्री सूर्य स्तुति ॥

प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा,
करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।
हे आदित्य दिवाकर भानू,
मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा,
दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर,
अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।

॥ श्री चन्द्र स्तुति ॥

शशि मयंक रजनीपति स्वामी,
चन्द्र कलानिधि नमो नमामि ।
राकापति हिमांशु राकेशा,
प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा ।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर,
शीत रश्मि औषधि निशाकर ।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा,
शरण शरण जन हरहुं कलेशा ।

॥ श्री मंगल स्तुति ॥

जय जय जय मंगल सुखदाता,
लोहित भौमादिक विख्याता ।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी,
करहुं दया यही विनय हमारी ।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी,
लोहितांग जय जन अघनाशी ।
अगम अमंगल अब हर लीजै,
सकल मनोरथ पूरण कीजै ।

॥ श्री बुध स्तुति ॥

जय शशि नन्दन बुध महाराजा,
करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना,
कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन,
चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी,
प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।

॥ श्री बृहस्पति स्तुति ॥

जयति जयति जय श्री गुरुदेवा,
करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी,
इन्द्र पुरोहित विद्यादानी ।
वाचस्पति बागीश उदारा,
जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा,
करहुं सकल विधि पूरण कामा ।

॥ श्री शुक्र स्तुति ॥

शुक्र देव पद तल जल जाता,
दास निरन्तन ध्यान लगाता ।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन,
दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी,
हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा,
नर शरीर के तुमही राजा ।

॥ श्री शनि स्तुति ॥

जय श्री शनिदेव रवि नन्दन,
जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा,
वप्र आदि कोणस्थ ललामा ।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा,
क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला,
हरहुं विपत्ति छाया के लाला ।

॥ श्री राहु स्तुति ॥

जय जय राहु गगन प्रविसइया,
तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा,
शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा,
अर्धकाय जग राखहु लाजा ।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु,
सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।

॥ श्री केतु स्तुति ॥

जय श्री केतु कठिन दुखहारी,
करहु सुजन हित मंगलकारी ।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला,
घोर रौद्रतन अघमन काला ।
शिखी तारिका ग्रह बलवान,
महा प्रताप न तेज ठिकाना ।
वाहन मीन महा शुभकारी,
दीजै शान्ति दया उर धारी ।

॥ नवग्रह शांति फल ॥

तीरथराज प्रयाग सुपासा,
बसै राम के सुन्दर दासा ।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी,
दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ।
नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु,
जन तन कष्ट उतारण सेतू ।
जो नित पाठ करै चित लावै,
सब सुख भोगि परम पद पावै ॥

॥ दोहा ॥

धन्य नवग्रह देव प्रभु,
महिमा अगम अपार ।
चित नव मंगल मोद गृह,
जगत जनन सुखद्वार ॥

यह चालीसा नवोग्रह,
विरचित सुन्दरदास ।
पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख,
सर्वानन्द हुलास ॥

॥ इति श्री नवग्रह चालीसा ॥

Navgrah Chalisa (In English)

॥ Doha ॥

Shri Ganapati Gurupad kamal,
Prem sahit shiranaea ।
Navagraha chalisa kehat,
Sharad hot sahae ।।

Jai jayi Ravi Shashi Som Budha,
jai guru bhragu shani raj ।
Jayati rahu aru ketu greh,
karahu anugreh aaja ।।

।। Chopai ।।

॥ Shree Surya Stuti ॥

Prathmahi ravi keh. Navo matha,
Karhu kripa jan jani anatha ।
Hey Aditya divakar bhanu,
Mai matimand maha agyanu ।
Aba nij jan kahan harhu kalesha,
Dinkar dvadasha rupa dinesha ।
Namo bhaskar surya prabhakar,
Ark mitr agh mogh shmakara ।

॥ Shree Chandra Stuti ॥

Shashi meyank rajanpati swami,
Chandra kalanidhi namo namami ।
Rakapati Himanshu Rakesha,
Pranavat jan tana harahu kalesha ।
Som Indu vidhu shanti sudhakar,
Shit rashmi aushdhi nishakar ।
Tumahi shobhit sundar bhal mahesha,
Sharan sharan jana harahu kalesha ।

॥ Shree Mangal Stuti ॥

Jai jai Mangal sukha daata,
lauhit bhaumadika vikhyata ।
Angarak kuj ruj Rannahari,
deya karhu yahi vinae hamari ।
Hey mahisut Chitisut sukhrasi,
lohitanga jai jan aghnasi ।
Agam amangal ab har ljae,
Sakal manorath puran kije ।

॥ Shree Budha Stuti ॥

Jai shashi nandan budh maharaja,
Karhu sakal jan kahan shubh kaja ।
Dije budhi sumati sujana,
Kathin kast hari kari kalyana ।
Hey tarasut rohini nandan,
Chandra suvan duhkh duwand nikandan ।
Pujahu aas daas kahu swami,
Pranat paal prabhu namo namami ।

॥ Shree Brashpati Stuti ॥

Jayati jayati jai shri guru deva,
Karhu sada tumhari prabhu seva ।
Devacharya tum guru gyani,
Indra purohit vidya dani ।
Vachaspati bagisa udara,
Jeev brashaspati naam tumhara ।
Vidya sindhu angira naama,
Karhu sakal vidhi puran kama ।

॥ Shree Shukra Stuti ॥

Shukradev tal jal jata,
Daas nirantar dhyan lagata ।
Hey ushena bhargav bhragunandan,
Daitya purohit dusht nikandan ।
Bhragukul bhusan dusana hari,
Harahu nest greh karahu sukhari ।
Tuhi dwijvar joshi sirtaja,
Nar shareer ke tumhi raja ।

॥ Shree Shani Stuti ॥

Jai shri Shani dev ravinandan,
Jai krishno sauri jagvandan ।
Pingal mand raudr yam nama,
Vaphra adi konasth lalama ।
Vakra dristi piplan tan saja,
Shran mah karta rank shran raja ।
Lalt svarn pad karat nihala,
Hrahu vipadi Chaya ke lala ।

॥ Shree Rahu Stuti ॥

Jai jai rahu gagan pravisaiea,
Tumahi chandra aditya grasaiya ।
Ravi shash ari svarbhanu dhara,
Shikhi adi bahu naam tumhara ।
Saihinkey nishachar raja,
Ardhakaya jag rakhahu laja ।
Yadi greh samae pay kahi avahu,
Sada shanti rahi sukha upajavahu ।

॥ Shree Ketu Stuti ॥

Jai Shree ketu kathin dukhhari,
Karhu srijan hit mangalkari ।
Dhvajayuta rund rup vikrala,
Ghor raudratan adhman kala ।
Shikhi tarika grah balvana,
Mahapratap na tej thikana ।
Vahan min maha shubhkari,
Deje shanti deya ura dhari ।

॥ Navagraha Shanti Phal ॥

Tirathraj prayag supasa,
Bassai Ram ke sundar daasa ।
Kakra gramhi pure-tiwari,
Duvashram jan kasht utarna setu ।
nava-greh shanti likheo sukha hetu,
Jan tan kashta utaran setu ।
Jo nit path kare chit lave,
Sab sukh bhog param pad pave ।

॥ Doha ॥

Dhanye navagreh dev prabhu,
Mahima agam apar ।
Cheet nav mangal mod greh,
Jagat janan sukhdvara ।
Yeh Chalisa navogreh,
Vichrit sundardas ।
Padat premayukt badat sukh,
Sarvnand hulas ।

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