Saraswati Chalisa का नित्य पठन करना हर विद्यार्थी के लिए हमेशा ही शुभकारी होता है। विद्या की देवी माँ सरस्वती को शत शत नमन। कहते है जीवन में अगर हैम ज्ञान प्राप्त नही करते तो हमारा जीवन व्यर्थ समान होता होता है। श्री मद भागवत गीता के अनुसार ज्ञानी मनुष्य प्रभु के बहोत निकट होता है। माँ सरस्वती ज्ञान की देवी है। हर विद्यार्थी माँ सरस्वती की नित्य वंदना करता है। माँ सरस्वती करुणामयी है, जो भी उनकी सच्चे मन से आराधना करता है उन पर उनकी विशेष कृपा रहती है। पूरे भारतवर्ष में “दीपावली” का त्योहार बड़े ही धाम धूम से मनाया जाता है। उस दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है। देवी सरस्वती की विशेष पूजा “वसंत पंचमी” के दिन भी की जाती है। देवी सरस्वती की महिमा का वर्णन “Saraswati Chalisa” में किआ गया है। तो आइए आज आप और में मिल कर विद्या की देवी माँ सरस्वती की “श्री सरस्वती चालीसा” का पाठ करे और माँ की विशेष कृपा पाए..!! तो बोलिये माँ सरस्वती जी की जय…!!!
॥ श्री सरस्वती चालीसा (हिन्दी) ॥
॥दोहा॥
!! जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि,
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि,
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु,
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु !!
!! जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी,
जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी,
रूप चतुर्भुज धारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता,
जग में पाप बुद्धि जब होती।तब ही धर्म की फीकी ज्योति !!
!! तब ही मातु का निज अवतारी।पाप हीन करती महतारी,
वाल्मीकिजी थे हत्यारा।तव प्रसाद जानै संसारा,
रामचरित जो रचे बनाई।आदि कवि की पदवी पाई,
कालिदास जो भये विख्याता।तेरी कृपा दृष्टि से माता !!
!! तुलसी सूर आदि विद्वाना।भये और जो ज्ञानी नाना,
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।केव कृपा आपकी अम्बा,
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी,
पुत्र करहिं अपराध बहूता।तेहि न धरई चित माता !!
!! राखु लाज जननि अब मेरी।विनय करउं भांति बहु तेरी,
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।कृपा करउ जय जय जगदंबा,
मधुकैटभ जो अति बलवाना।बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना,
समर हजार पाँच में घोरा।फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा !!
!! मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।बुद्धि विपरीत भई खलहाला,
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।पुरवहु मातु मनोरथ मेरी,
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।क्षण महु संहारे उन माता,
रक्त बीज से समरथ पापी।सुरमुनि हदय धरा सब काँपी !!
!! काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।बारबार बिन वउं जगदंबा,
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा,
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।रामचन्द्र बनवास कराई,
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा !!
!! को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना,
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी,
रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी,
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा !!
!! दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता,
नृप कोपित को मारन चाहे।कानन में घेरे मृग नाहे,
सागर मध्य पोत के भंजे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे,
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में !!
!! नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करई न कोई,
पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि भाई,
करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा,
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।संकट रहित अवश्य हो जावै!!
!! भक्ति मातु की करैं हमेशा।निकट न आवै ताहि कलेशा,
बंदी पाठ करें सत बारा।बंदी पाश दूर हो सारा,
रामसागर बाँधि हेतु भवानी।कीजै कृपा दास निज जानी !!
॥ दोहा ॥
!! मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप,
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु !!
॥ Saraswati Chalisa (English) ॥
Doha
!! Janak Janani Padam Raj, Nij Mastak Par Dhari,
Bandau Matu Saraswati, Buddhi Bal De Datari,
Purn Jagat Mein Veapt Tav, Mahima Amit Anantu,
dushtjano Ke Paap Ko, Matu Tuhi Ab Hantu !!
!! Jai Shri Sakal Budhi Balrasi, Jai Sarvage Amar Avinasi,
Jai Jai Jai Venakar Dhari, Karti Sada Suhans Savari,
Roop Chaturbhujdhari Mata, Sakal Vishv Andar Vikhata,
Jag Mein Paap Budhi Jab Hoti, tab Dharm Ki Phiki Jyoti !!
!!Tab hi Matu ka Nij Avtari, Paap Heen Karti Mahitari,
Balmiki Ji The hatyara Gyani, Tav Prsad Jane Sansara,
Ramchrit Jo Rache Banai, Aadi Kavi Ki Padvi Pai,
Kalidas Jo Bhae Vikhata, Teri Kripa Drishti Se Mata !!
!! Tulsi Sur Aadi Vidvana, Bhaye Aur Jo Gyani Nana,
Tinhe Na Aur Raheu Avlamba, Kev Kripa Aapki Amba,
Krhu Kripa Soi Matu Bhavani, Dukhit Din Nij Dsahi Jani,
Putra Krai Apradh Bahuta, Tehi Na dhari Chitt Mata !!
!! Rakhu Laj Janani Ab Meri, Vine Karu Bahu Bhanti bhu teri,
Mein Anath Teri Avlamba, Kripa Karu Jai Jai Jagdamba,
Madhu Kaitabh Jo Ati Balvana, Bahuyudh Vishnu Te Thana,
Samar Hajar Panch Mein Ghora, Phir Bhi Mukh Unse Nahi Moda !!
!! Matu Sahae Bhai Tehi Kala, Budhi Viprit Kari Khalhala,
Tehi Mritu Bhai Khal Keri, Purvahu Matu Manorath Meri
Chand Mund Jo The Vikhyata, Chan Mahu Saharu Tehi Mata,
Raktabij Se Samrath Papi, Sur-Muni Hride Dhara Sab Kampi !!
!! Kateu Sir Jimi Kadli Khamba, Baar Baar Binvau Jagdamba,
Jag Prasidh Jo Shumbh Nishumbha, Chhin Me Badhe Tahi Tu Amba,
Bharat-Matu Budhi Phereu Jayi, Ramachandra Banvas Karai,
Ehi Vidhi Ravan Vadh Tum Kina, Sur Nar Muni Sabko Sukh Dina !!
!! Ko Samrath Tav Yash Gun Gana, Nigam Anadi Anant Bakhana,
Vishnu Rudra jas kahi Na Mari, Jinki Ho Tum Rakshakari,
Rakt Dantika Aur Shatakshi, Naam Apaar Hai Danav Bhakshi,
Durgam Kaj Dhara Par Kina, Durga Naam Sakal Jag Lina !!
!! Durg Aadi Harani Tu Mata, Kripa Krhu Jab Jab Sukhdata,
Nrip Kopit Jo Maran Chahi, Kanan Mein Ghere Mrig Nahi,
Sagar Madhy Pot Ke Bhange, Ati Tofan Nahi Kou Sange,
Bhoot Pret Badha Yaa Dukh Mein, Ho Daridra Athava Sankat Mein !!
!! Naam Jape Mangal Sab Koi, Sanshay Isame Karai Na Koi,
Putrahin Jo Aatur Bhai, Sabi Chandi Puje Ehi ,
Karai Path Nit Yah Chaalisa, Hoy Putra Sundar Gun Isa,
Dhupadik Naivedy Chadhavei, Sankat Rahit Avashy Ho Javi !!
!! Bhakti Matu Ki Kari Hamesha, Nikat Na Aavi Tahi Kalesha,
Bandi Path Kare Shat Bara, Bandi Pash Door Ho Sara,
Krhu Kripa Bhavamukti Bhavani, Mo Kahn Daas Sada Nij Jani !!
Doha
!! Mata Soraj Kanti Tav, Andhakar Mam Roop,
Doban Te Raksha Krhu, Paru Na Mein Bhav-Koop,
Bal Buddhi Vidya Dehu Mohi, Sunhu Sarasvati Matu,
Adham Ram sagar adam, ko Aashrae detaru !!