देवा दी देव महादेव की महिमा अपरंपार है। ॐ नमः शिवाय बस इस एक मंत्र में समस्त सृष्टि का सार समाहित है। शिव अविनाशी है शिव का न तो आदि है नाही अंत है। हर स्त्री शिव रूप वर की कामना हेतु 16 सोमवार का व्रत रखती है। शिव की लीला अनंत है। शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है, उन्हें प्रसन्न करना बहोत सरल है। भगवान शिव के अनेकों नाम है, कोई उन्हें शिव कहता है तो कोई उन्हें शंकर, कोई उन्हें भोलेनाथ कहता है तो कोई महादेव। शिव समस्त पृथ्वी लोक में लिंग स्वरूप में पूजे जाते है। पूरे भारतवर्ष में कुल 12 ज्योर्तिलिंग उपस्थित है। जिनके दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव की सम्पूर्ण महिमा का वर्णन “Shiv Chalisa” में निहित है। तो आइये आज हम और आप इस पावन “शिव चालीसा” का पाठ करे और शिव की भक्ती में विलीन हो जाये। बोलो शिव शंभु की जय…!!!
॥ श्री शिव चालीसा (हिन्दी) ॥
॥ दोहा ॥
!! श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान,
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान,
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला,
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के !!
!! अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये,
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे,
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी,
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी !!
!! नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे,
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ,
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा,
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी !!
!! तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ,
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा,
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई,
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी !!
!! दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं,
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई,
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला,
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई !!
!! पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा,
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी,
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई,
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर !!
!! जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी,
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै,
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो,
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो !!
!! मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई,
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी,
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं,
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी !!
!! शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन,
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं,
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय,
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई !!
!! ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी,
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई,
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे,
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा !!
!! धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे,
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे,
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी !!
॥दोहा॥
!! नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा,
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश,
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान,
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण !!
॥ Shiva Chalisa (English) ॥
॥ Doha ॥
!! Jai Ganesha Girija suvan mangal mul sujaan,
Kehat ayodhyadas tum deu abhae vardan,
Jai girijapati deendeyala sada karat santan pratipala,
Bhaal chandrama sohat niike kaanan kundal naagphani ke !!
!! Ang gaur shir gang bahaye mundmaal tan shaar lagaye,
Vastra khaal baghambar sohe chhavi ko dekh naag mann mohe,
Maina matu ki have dulari baam ang sohat chhavi nyari,
Kar trishul sohat chhavi bhari karat sada shatrun shayakari !!
!! Nandii ganesha sohain tahu kaise sagar madhya kamal hai jaise,
Kartik sham aur ganrau ya chhavi kau kahi jaat na kau,
Devan jabhi jai pukara tabhi dukh prabhu aap nivara,
Kiya updrv tarak bhari devan sab mili tumhi juhari !!
!! Turat shadenan aap pathau lava nimesh maha mari girau,
Aap jalandhar asur sahara suyesh tumhaar vidit sansara,
Tripurasur san yudh machai sabhi kripa kar leen bachai,
Kiya taphi bhagirath bhari purab pratigea tasu purari !!
!! Danin mahe tum sam kou nahi sevak stuti karat sadahi,
Ved mahi mahima tab gaai akath anadi bhed nahi paai,
Prakat udadhi manthan mein jvala jare surasur bhae vihala,
Kinhe daya tahe kari sahai nilakanth tab naam kahai !!
!! Pujan ramchandra jab kinha jeet ke lank vibhishan dinha,
Sahas kamal men ho rahe dhari kinhe pariksha tabhi purari,
Ek kamal prabhu rakheu joyi kamal neyan pujan chahe soi,
Kathin bhakti dekhi prabhu shankar bhae prasan die ichchita var !!
!! Jai jai jai anant avinashi karat kripa saba ke ghat vasi,
Dusht sakal nit mohi satave bhramat rahe mohi chain ni aave,
Trahi trahi main nath pukaro yeh avasar mohi aan ubaro,
Le trishul shatrun ko maro sankat se mohi aan ubaro !!
!! Mata pita bhrata sab koi sankat mein puchat nahi koi,
Swami ek hai aas tumhari aaye harhu abb sankat bhari,
Dhan nirdhan ko det sadahi jo koi janche so phal pahi,
Astuti kehi vidhi karo tumhari shamahu nath abb chuk hamari !!
!! Shankar ho sankat ke nashan mangal karan vigihn vinashan,
Yogi yati muni dhyan lagave sharad narad shish nivave,
Namo namo jai namo shivaye sur brahmadik paar na paye,
Jo yeh path kre mann lai ta par hot hain shambhu sahai !!
!! Raniyan jo koi ho adhikari path kare so pavan hari,
Putra heen ki ichcha koi nishchae shiv parsad tehi hoi,
Pandit trayodashi ko lave dhyan purvak hom karave,
Trayodashi vrat kare hamesha tann nahi take rahe kalesha !!
!! Dhup deep naivede chadhave shankar samukh path sunave
Janam janam ke paap nasave antvaas shivapur mein pave
Kahe ayodhya aas tumhari jani sakal dukh harhu hamari !!
॥ Doha ॥
!! Nitt neim pratahi path karo chalisa,
Tum meri manokamana purn karo jagdisha,
maggsar chathi hement rithu svat chosath jaan,
astut chalisa shive, puran keen kaleyan !!