माँ Santoshi की कृपा अपरंपार है। एक मान्यता के अनुसार माँ संतोषी “संतोष” की देवी है, जिनकी आराधना करने से जीवन मैं सुख शांति और समृद्धि का वास रहता है। माँ संतोषी की पूजा आराधना भारतवर्ष के उत्तरप्रदेश और नेपाल देश की महिलाएं बड़े भाव से करती है। माँ संतोषी का 16 शुक्रवार का व्रत पूरे भारतवर्ष में बहोत प्रचलित है। माँ संतोषी भगवान गणेश और माँ रिद्धि और सिद्धि की पुत्री है और देवो के देव महादेव और माँ पार्वती की पौत्री है। “शुभ” और “लाभ” माँ संतोषी के भाई है। जो भी भक्त माँ संतोषी की पूजा और आराधना सच्चे मन से करता है उसके जीवन में सदा सुख शांति और समृद्धि का वास रहता है। जो भी भक्त अगर नित्य रूप से माँ की “Shri Santoshi Chalisa” का पाठ करता है तो वो माँ की विशेष कृपा पता हैं। तो आइये आज आप और हम मिल कर माँ संतोषी की “श्री संतोषी चालीसा” का पाठ करे, तो बोलिये माँ संतोषी की जय –
॥ श्री संतोषी चालीसा (हिन्दी) ॥
ll दोहा ll
!! बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार,
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार,
भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम,
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम !!
!! जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम,
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा,
श्वेताम्बर रूप मनहारी। माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी,
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन। दर्शन से हो संकट मोचन !!
!! जय गणेश की सुता भवानी। रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी,
अगम अगोचर तुम्हरी माया। सब पर करो कृपा की छाया,
नाम अनेक तुम्हारे माता। अखिल विश्व है तुमको ध्याता,
तुमने रूप अनेकों धारे। को कहि सके चरित्र तुम्हारे !!
!! धाम अनेक कहाँ तक कहिये। सुमिरन तब करके सुख लहिये,
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी। कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी,
कलकत्ते में तू ही काली। दुष्ट नाशिनी महाकराली,
सम्बल पुर बहुचरा कहाती। भक्तजनों का दुःख मिटाती!!
!! ज्वाला जी में ज्वाला देवी। पूजत नित्य भक्त जन सेवी,
नगर बम्बई की महारानी। महा लक्ष्मी तुम कल्याणी,
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो। सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो,
राजनगर में तुम जगदम्बे। बनी भद्रकाली तुम अम्बे !!
!! पावागढ़ में दुर्गा माता। अखिल विश्व तेरा यश गाता,
काशी पुराधीश्वरी माता। अन्नपूर्णा नाम सुहाता,
सर्वानन्द करो कल्याणी। तुम्हीं शारदा अमृत वाणी,
तुम्हरी महिमा जल में थल में। दुःख दारिद्र सब मेटो पल में !!
!! जेते ऋषि और मुनीशा। नारद देव और देवेशा,
इस जगती के नर और नारी। ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी,
जापर कृपा तुम्हारी होती। वह पाता भक्ति का मोती,
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता। ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता !!
!! जो जन तुम्हरी महिमा गावै। ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै,
जो मन राखे शुद्ध भावना। ताकी पूरण करो कामना,
कुमति निवारि सुमति की दात्री। जयति जयति माता जगधात्री,
शुक्रवार का दिवस सुहावन। जो व्रत करे तुम्हारा पावन !!
!! गुड़ छोले का भोग लगावै। कथा तुम्हारी सुने सुनावै,
विधिवत पूजा करे तुम्हारी। फिर प्रसाद पावे शुभकारी,
शक्ति- सामरथ हो जो धनको। दान- दक्षिणा दे विप्रन को,
वे जगती के नर औ नारी। मनवांछित फल पावें भारी !!
!! जो जन शरण तुम्हारी जावे। सो निश्चय भव से तर जावे,
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे। निश्चय मनवांछित वर पावै,
सधवा पूजा करे तुम्हारी। अमर सुहागिन हो वह नारी,
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा। भवसागर से उतरे पारा !!
!! जयति जयति जय संकट हरणी। विघ्न विनाशन मंगल करनी,
हम पर संकट है अति भारी। वेगि खबर लो मात हमारी,
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता। देह भक्ति वर हम को माता,
यह चालीसा जो नित गावे। सो भवसागर से तर जावे!!
॥ Shri Santoshi Chalisa (English) ॥
॥ Doha ॥
!! Bando santosi charan ridhi sidhi datar,
dhyan dhrat hi hot nar dukh sagar se paar,
Bhagatan ko santosh de santosi tav naam,
kripa krau jagdamb abb aaya tere dham !!
!! Jai santoshi maat anupam Shanti dayeni roop manoram,
Sundar varan chaturbhuj rupa Vesh manhor lalit anupa,
Sawyetambar roop manhari Maa tumhari chavi jag se neyari,
Divye sawroop aayet lochan Darshan se ho sankat mochan !!
!! Jai ganesh ki suta bhavani Ridhi sidhi ki putri geyani,
Aagam agochar tumhari maya Sab par karo kripa ki chaya,
Naam anek tumhare mata Aakhil vishv hai tumko dheyata,
Tumne roop aneko dhare Ko kahi sake charitr tumhare !!
!! Dham anek kaha tak kahiye Sumiran tab karke sukh lehie,
Vindiachal mai vindiavasini Kateshwar saraswati suhasini,
Kalkate mai tu hi kali Durast nashini mahakarali,
Samhal pur bahuchara kahati Bhagatjano ka dukh mitati !!
!! jawala ji mai jwala devi Pujat nitaye bhagat jann sevi,
Nagar bambai ki maharani Maha Lakshmi tum kalyani,
Madura me minakshi tum ho sukh dukh sab ki sakshi tum ho,
Rajnagar mein tum jagdambe bani bhadrakali tum ambe !!
!! Pawagadh mein durga mata Akhil vishv tera yash gata,
Kashi puradhishwari mata Aanpurna naam suhata ,
Sarwanand karo kaliyani Tumhi sharda amrit vani,
Tumhari mahima jal mein thal mai Dukh darid sab meto pal mai !!
!! Jete risi aur munisha Narad dev aur devesha,
Is jagati ke nar aur nari Dheyan dharat hai maat tumhari,
Japar kripa tumhari hoti Veh pata bhagat ka moti,
Dukh darid sankat mitt jata Dheyan tumhara jo jann dheyata !!
!! Jo jann tumhari mahima gave Dheyan tumhara kar sukh pave,
Jo mann rakhe sudh bhavna Taki puran karo kamna,
Kumti nivari sumati ki datri jayati jayati mata jagdhatri,
Shukarwar ka diwas suhavan Jo vatr kare tumhara paven !!
!! Gudh chole ka bhog lagave Katha tumhari sune sunave,
Vidhivat puja kare tumhari Fir Parsad pave subhkari,
Shakti samrath ho jo dhanko Dhan dakshida de vipran ko,
Ve jagti ke nar aur nari Mannvanchit phal pave bhari !!
!! Jo jann sharan tumhari jave So nishchaye bhav se tar jave,
Tumharo dheyan kumari dheyave Nishchaye mannvanchit var pave,
Sadhva puja kare tumhari Amar suhagan ho veh nari,
Vidhva dhar ke dheyan tumhare Bhavsagar se utre para !!
!! Jayati jayati jai sankat harni Vighan vinashan mangal karni,
Hum par sankat hai aati bhari Vegi khabr lo maat humari,
Nish din dheyan tumharo dheyata Deh bhagat var hum ko mata,
Yeh chalisa jo nit gave So bhavsagar se tar jave !!