नीम करोली बाबा जीवन परिचय – Neem Karoli Baba Jeevan Parichay

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba) भारत के महानतम संतो में शुमार होते है। ये वो संत है जिन्होंने अपना पूरा जीवन साधना और जनकल्याण में व्यतीत कर दिया। अक्सर कई लोग ऐसा मानते है की हर संत ब्रह्मचारी ही होता है। जो संत ब्रह्मचारी नहीं वो संत कैसा। किंतु बाबा नीम करोली ऐसे सभी लोगो के लिए एक सटीक दृष्टांत है। बाबा ने गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी अपनी संत की गरिमा को बरकरार रखा और अपने जन कल्याण के काज से संतो में अपना नाम दर्ज करवाया। संत बाबा नीम करोली को लोग कई नामों से संबोधित करते है। और चमत्कारी बाबा उन में से एक है। बाबा ने अपने जीवन काल में अनेकों चमत्कार किए है जिस के चलते उन्होंने अपने भक्तो के हृदय में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है।

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba) ने अपने पुरे जीवन काल में भारतवर्ष में कुल 12 मंदिरो की स्थापना की थी। उनके स्वर्गस्थ होने के बाद उनके भक्तो ने और 9 मंदिरो की स्थापना की थी। इन सभी मंदिरो में मुख्यरूप से भगवान हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की गई है। बाबा अपने चमत्कारो के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध थे। उन्हें सभी एक चमतकारी पुरुष मानते थे। अपने कद को छोटा या बड़ा करना, अचानक से गायबब या प्रगट हो जाना, भक्तो की समस्या को भांप कर समय से पूर्व उनका निवारण कर देना, आदि चमतकारों की चर्चा उनके भक्तो में आम थी। नीम करोली बाबा का प्रभाव कुछ ऐसा था की जब वे किसी मंदिर की स्थापना या भंडारे का आयोजन करने को घोषणा करते तो न जाने कँहा से सभी भक्त दान और सहयोग देने उमड़ पड़ते और उनका यह धार्मिक कार्य बड़ी ही सहजता से पूर्ण हो जाता था।

नीम करोली बाबा का जन्म (Neem Karoli Baba Janm)

बाबा नीम करोली(Neem Karoli Baba) का जन्म 19वि शताब्दी के शुरुआती दौर में हुआ था। उनकी जन्मस्थली “अकबरपुर” गांव है जो उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले में आता है। बाबा ने एक ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था और उनका असली नाम “लक्ष्मी नारायण शर्मा” था।

नीम करोली बाबा का विवाह और घर का त्याग करना (Neem Karoli Baba Ka Vivah Aur Ghar Ka Tyag Karana)

बाबा नीम करोली(Neem Karoli Baba) ने बहोत ही कम आयु में ज्ञान की प्राप्ति कर ली थी। उस समय बहोत छोटी सी आयु में ही विवाह कर दिया जाता था। इसीके चलते बाबा का विवाह भी महज 11 साल की आयु में कर दिया गया। किंतु वो ज्यादा समय तक खुद को अध्यात्म की दुनिया से पृथक ना कर सके और वो अपना घर छोड़ अध्यात्म की खोज में गुजरात की और निकल पड़े। काफी समय गुजरात में बिताने पर अपने पूज्य पिता के आग्रह पर वो दुबारा अपने गांव आ बसे। इसी दौरान उन्हें 3 संतान का सुख प्राप्त हुआ। जिसमे उन्हे 2 पुत्र और 1 पुत्री थी। वो अपना गृहस्थ जीवन जी तो रहे थे लेकिन उनका सम्पूर्ण चित्त अध्यात्म में लगा हुआ था। कुछ समय पश्चात वो फिर से अपना घर त्याग कर अध्यात्म की खोज में लग गए। ये वही समय था जब उनके संपर्क में आने वाले कई लोग उनके अनुयाई बने। कई भक्तो को उनके द्वारा रचे हुए चमत्कारों से साक्षात्कार हुआ।

नीम करोली बाबा की मृत्यु (Neem Karoli Baba Ki Murtyu)

बाबा नीम करोली(Neem Karoli Baba) ने अपना संपूर्ण जीवन अध्यात्म की तृप्ति प्राप्त करने में व्यतीत कर दिया। उनकी मृत्यु भी कुछ ऐसे संजोग में हुई मानो जैसे उन्हे पता हो कि अब उनका समाधि लेने का समय आ गया है।

एक समय की बात है जब नीम करोली बाबा अपनी छाती में हो रहे दर्द की झांच करवाने आग्रा आए हुए थे। वापसी में कैंची लौटते वक्त ट्रेन में उनको दिल का दौरा पड़ा और उसीकेे चलते उनके साथ आए हुए उनके सेवको ने उन्हें पास ही में आए हुए वृंदावन के एक अस्पताल में भर्ती करवाया। जब डॉक्टर ने उनकी जांच करने के पश्चात बताया की वे डाईबेटिक कोमा में चले गए है, लेकिन उनकी धड़कने सही से चल रही थी। डॉक्टर ने उन्हे ऑक्सीजन मास्क पर रखा हुआ था। सभी भक्तगण उनकी सेहत को मंगल कामना करते हुए बाहर डेरा लगाए हुए थे की, रात को तकरीबन 1 बजे के आस पास बाबा ने खुद अपना ऑक्सीजन मास्क अपने हाथो से हटाया और कहा – “बेकार..!!” और बाबा ने गंगाजल मांगा। वहा गंगाजल उपलब्ध न होने की वजह से उन्हें सामान्य जल दिया गया, और वो बोले “ओम जय जगदीश हरे..!!” उनके स्वर अब धीमे हो चुके थे और धीरे धीरे उनके चहरे से दर्द के भाव जा चुके थे और वो समाधि में लीन हो गए। तत्पश्चात 11 सितंबर 1973 को रात के तकरीबन 1.15am बजे 73वर्ष की उमर में डॉक्टर ने उन्हे मृत घोषित कर दिया।

Neem Karoli Baba

नीम करोली बाबा का मंत्र (Neem Karoli Baba Ka Mantra)

मैं हूँ बुद्धि मलीन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन ।

करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दीन।।

श्रद्धा के यह पुष्प कछु। चरणन धरि सम्हार।।

कृपासिंधु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।।

यह बाबा नीम करोली(Neem Karoli Baba) का प्रार्थना मंत्र है। बाबा अपने भक्तो पर इस मंत्र के उच्चारण से सदैव अपनी कृपा बरसाते रहते है। जो भक्त पूर्ण श्रद्धा भाव से इस मंत्र का उच्चारण करते हुए बाबा की प्रार्थना करता है बाबा उसकी मनोकामना पूर्ण करते है।

नीम करोली बाबा के चमत्कार (Neem Karoli Baba Ke Chamatkar)

अब हम बाबा नीम करोली ने अपने जीवनकाल में जिन भक्तो को अपने चमत्कार रूपी आशीर्वाद से कृतार्थ किया उसके विषय में हम जाने गे। यह चमत्कार ऐसे है जिसे एक भक्त अनुभव कर सकता है उसका वर्णन कर सकता है लेकिन उसे साबित नहीं कर सकता और इस वजह से इसे चमत्कार का नाम दिया जाता है। कुछ ऐसे ही चमत्कार जिसे केवल बाबा के भक्तो ने अनुभव किये कुछ इस प्रकार है।

जब बाबा ने रेलगाड़ी की गति रोक दी… (Jab Baba Ne Relgaadi Ki Gati Rok Di)

एक समय की बात है जब बाबा(Neem Karoli Baba) ने ट्रेन में सफर किया था। तब उनके पास ट्रेन का टिकट नहीं था। कुछ समय बीत जाने के बाद ट्रेन में टिकट चेकर बाबा जिस ट्रेन के डिब्बे में सफर कर रहे थे वंहा आ पहुंचा और बाबा से टिकट मांगने लगा। किन्तु टिकट ना होने की वजह से वे उन्हें टिकट नहीं दे पाए। टिकट चेकर बाबा पर गुस्सा हो गया और उसने बिच रास्ते में जँहा ट्रेन का कोई स्टेशन नहीं था वंहा चैन खींच कर ट्रेन को रूकावया और बाबा को ट्रेन से निचे उतर जाने को कहा। बाबा बड़ी विनम्रता से ट्रेन से उतर गये और अपना मार्ग ढूंढ़ते निकल पड़े। वंही टिकट चेकर ने ट्रेन के ड्राइवर को ट्रेन शुरू करने के लिए कहा किन्तु जब वो ट्रेन शुरू करने गया तो ट्रेन शुरू ही नहीं हो रही थी। तक़रीबन आधा घंटा बीत जाने से पर सब लोग थक हार के बैठ गये। तब किसी बाबा के भक्त ने उन्हें सुझाव दिया की यह सब उसी चमत्कारी बाबा के कारण हो रहा है। आपको उस बाबा का ऐसा अपमान नहीं करना चाहिये था, अब वही है जो इस ट्रेन को चला सकते है अतः अभी शीघ्र जाएं और बाबा को ढूंढ़ कर लेके आइये। इस बात पर सभी लोग राज़ी हो गये और बाबा को ढूंढ़ने निकल पड़े यंहा तक की वो टिकट चेकर भी बाबा से क्षमा मांगने हेतु उन्हें ढूंढ़ने लगा था। एक समय पश्चात उन्हें बाबा दिख गये और टिकट चेकर बाबा के पैर में गिर कर अपने बर्ताव की क्षमा मांगने लगा और बाबा को ट्रेन में आने को कहा। तब बाबा ने उसे 2 शर्त पर ट्रेन में वापस आने की बात कही –

  • जिस जगा पर तुमने मुझे उतरा है यहाँ ट्रेन की सेवा उपलब्ध कराई जाये।
  • आज के बाद तुम किसी भी संत का ऐसा अपमान नहीं करोगे और उन्हें हमेंशा आदर और सत्कार से रखो गे। तभी में इस ट्रेन में वापस आऊंगा।

बाबा की बात मानते हुए सब ने बाबा की दोनों शर्ते तुरंत मान ली। और जैसे ही बाबा ट्रेन में चढ़े ट्रेन अपने आप शुरू हो गई। बाबा के इस चमत्कार को देख सभी लोग चकित हो गये थे। तब से उस जगा पर भारतीय रेलवे ने एक रेलवे स्टेशन का निर्माण किया और उसे बाबा नीम करोली स्टेशन के नाम से अनुकृत किया गया।

जब एक विदेशी बन गया बाबा का भक्त (Jab Ek Videshi Ban Gaya Baba Ka Bhakt)

एक समय की बात है जब एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक “रिचर्ड अल्बर्ट” भारत में आध्यात्मिक दौरे पर आये हुए थे। वो जगा जगा संतो से मिलाने और अध्यात्म के विषय में चर्चा करते रहते। वो हावर्ड यूनुवार्सिटी में एक प्रोफेसर भी थे जो एक नशीले पदार्थ/द्रव्य LSD25 पर रिसर्च कर रहे थे। रिसर्च के दौरान वो LSD25 द्रव्य की गोलिया अपने साथ एक छोटी से डिबिया में रखा करते थे। एक दिन बाबा नीम करोली द्वारा  अनजाने में उन नशीली गोलियों का सेवन हो गया। वो गोलिया इतनी मात्र में खां चुके थे की अगर कोई सामन्य आदमी उसका सेवन करता तो उसकी मृत्यु होना तय था। किन्तु उनकी  तबियत में लेश मात्र भी फर्क नहीं दिखाई दिया। जब प्रोफेसर को इस बात का पता चला तब वे आश्चर्यचकित हो गये और तुरंत बाबा से मिलाने उनके आश्रम जा पहुंचे। बाबा के विनम्र स्वाभाव ने उनका ह्रदय जीत लिया। तब से वो बाबा के शिष्य बन गये। आगे जाके बाबा और उनकी घनिष्ठा और बढ़ी और बाबा ने उन्हें “राम दास” की उपाधि दी जिसका मतलब “प्रभु का दास” माना जाता है। बाबा के सानिध्य में रहते हुए प्रोफेसर ने भी अध्यात्मिकता के अनुभवों को बहोत करीब से जाना और उन्होंने बाबा के उपलक्ष में एक किताब लिखी जिसका नाम “miracle of love” है। इस किताब में अपने आध्यात्मिक अनुभवों को व्यक्त करते हुए उन्होंने लिखा है “अगर आपको नशा करना ही है, तो अध्यात्मिकता का करो, इस नशे से बढ़कर इस संसार में और कोई नशा नहीं है।”

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba) के भक्तो में केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि अरबो-खरबो पति भी शामिल है। पीएम और हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री “जुलिया रॉबर्ट”, एप्पल कंपनी के संस्थापक “स्टिव जॉब्स” और फेसबुक कंपनी के संस्थापक “मार्क ज़ुकारबर्ग” भी बाबा के भक्तो में शामिल है।

जब पानी घी में परिवर्तित हो गया (Jab Paani Ghee Me Parivartit Ho Gaya)

एक समय की बात है जब बाबा के कैची धाम में भंडारे का आयोजन हुआ था और तब भोजन प्रसादी बनाने में घी की कमी आन पड़ी थी। जब बाबा को इस बात का पता चल तब उन्होंने कहा –

“जाइये निचे नदी से कनस्तर भर कर पानी ले कर आये और उसे ही प्रसाद बनाने के उपयोग में ले लीजिये।”

जब सभी ने बाबा के आदेश अनुसार पानी भर के ले कर आये तो उन्होंने देखा की वो पानी अपने आप घी में परिवर्तित हो चूका था। यही नहीं एक बार एक भक्त को बाबा ने तपति धुप से बचाने के लिए बदलो की चादर बिछा दी थी ताकि वो सुगमता से अपनी मंज़िल पर पहुँच जाये।

जब कुवे का खारा पानी हो गया मीठा (Jab Kuve Ka Khara Paani Ho Gaya Mitha)

एक समय की बात है, जब नीम करोली बाबा की जन्मस्थली फरुखाबाद में उनके घर के पास एक कुआ हुआ करता था। उनके घर के आस पास केवल वही एक पानी का सबसे बड़ा जल स्त्रोत था। किन्तु उसका पानी इतना खारा था की उसे किसी भी कार्य में उपयोग में नहीं लिया जा सकता था। एक दीन किसी भक्त ने बाबा को इस बात से अवगत करवाया। बाबा ने उनसे कहा –

“आप एक काम कीजिये, उस कुवे में एक बोरी शक़्कर की डाल दीजिये। इससे आपकी समस्या का समाधान हो जायेगा।”

फिर भक्तो ने बाबा के कथन अनुसार उस खारे कुवे में एक बोरी शक्कर की डाल दी और जब उन्होंने वापस उस पानी का सेवन किया तो वो पानी पहले के मुकाबले “मीठा” हो गया था। बाबा के इस चमत्कार की चर्चा उस समय कई गाँवो और कसबो में बिजली की तरह फ़ैल गई थी।

नीम करोली बाबा आश्रम (Neem Karoli Baba Ashram)

उत्तराखंड की पावन भूमि पर स्थित कैची धाम एक ऐसा पवित्र स्थल है जँहा बाबा नीम करोली अपनी कृपा अपने भक्तो तो बरसाते रहते है। कहा जाता है जो भी भक्त इस आश्रम में बाबा के दर्शन करने आता है वो कभी खाली हाथ लौट कर नहीं जाता। यहाँ नीम करोली बाबा को उनके भक्त हनुमान जी का एक स्वरुप मान कर पूजा करते है। यहाँ नीम करोली बाबा ने अपने हाथो से भगवान हनुमान जी की प्रतिमा की स्थापना की थी। यहाँ इस स्थान पर भगवान हनुमान जी का एक भव्य मंदिर है और साथ ही साथ नीम करोली बाबा की प्रतिमा भी स्थापित की हुई है। यहाँ हर साल देश विदेश से कई भक्त नीम करोली बाबा के दर्शन हेतु यहाँ आते है। नीम करोली बाबा की ख्याति केवल भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी है।

नीम करोली बाबा ने 15 जून 1964 को इस आश्रम की स्थापना की थी तब से हर साल इस दीन को आश्रम के स्थापना दीन के रूप में मनाया जाता है और हज़ारो भक्त देश विदेश से बाबा के दर्शन करने हेतु यहाँ आया करते है। नीम करोली बाबा पहेली बार अपने मित्र पूर्णानन्द के साथ इस भूमि पर आये हुए थे और बाबा ने अपने मित्र से यंहा आश्रम बनाने की बात कही थी।

नीम करोली बाबा का कैची धाम  ज़िलों के शहर नैनीताल जिले में भवाली-अल्मोड़ा/रानीखेत नेशनल हाइवे के मार्ग पर स्थित है। नीम करोली बाबा का कैची धाम आश्रम नैनीताल से 22किमी और भावली से 8 किमी पर रानीखेत मार्ग पर स्थित है। यहाँ बाबा का भव्य मंदिर स्थापित किया गया है जो विश्वभर में स्थित उनके अनुयाईओ की आस्था का प्रतिक है। नीम करोली बाबा जो की इस आश्रम के स्थापक है वो यंहा 1962 में आये हुए थे। इस धाम को “कैची धाम”, निब करोली, या नीम करोली के नाम से भी जाना जाता है। जब से बाबा द्वारा इस आश्रम की स्थापना की गई है तब से लेकर अब तक यहाँ बाबा के भक्तो का   भारी मात्रा में आना हमेंशा रहता है। यह आश्रम बाबा के भक्तो के लिए उनके प्रति श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन चूका है।

जब से नीम करोली बाबा इस कैची धाम पहली बार आये थे तब से यह स्थान उनके बहोत करीब रहा है। नीम करोली बाबा के स्वर्गस्थ होने के पश्चात उनके भक्तो ने भगवान हनुमान जी के साथ बाबा की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की है। बाबा के भारतवर्ष और पुरे विश्वभर में 108 आश्रम स्थापित है। इन सभी आश्रमो में भारत में “कैची धाम” और अमेरिका के न्यू मैक्सीको सिटी में स्थित “टाउस आश्रम” मुख्य है।

ऐसा माना जाता है की बाबा नीम करोली प्रभु हनुमान जी के परम उपासक थे और उन्हीं की उपासना करके उन्हें दिव्य सिद्धियां प्राप्त हुई थी। इसी कारणवश लोग उन्हें भगवान श्री महावीर हनुमान जी का अवतार भी मानते थे। किन्तु बाबा बहोत ही साधारण जीवन व्यतीत करते थे और किसी को भी अपने पैरो को स्पर्श नहीं करने देते थे।

कैची धाम कैसे पहुंचे? (Kaichi Dham Kaise Pahunche?)

हवाईमार्ग से (By Air) – हवाईमार्ग से आश्रम को पहुँचने के लिए यात्रालू को पंतनगर हवाई अड्डे पर उतरना होगा। पंतनगर हवाईअड्डे से कैची धाम 79 किमी की दुरी पर स्थित है। यात्रालू यहाँ उतर कर कैब के द्वारा मंदिर तक पहुँच सकते है।

रेलमार्ग से (By Railway) – रेलमार्ग से आश्रम पहुँचने के लिए यात्रालू को काठगोदाम रेलवे स्टेशन उतरना होगा। यहाँ से आश्रम की दुरी 43 किमी है।

सड़कमार्ग से (By Road) – सड़कमार्ग से आश्रम पहुँचने के लिए यात्रालू को नैनीताल हो कर जाना होगा। यहाँ से आश्रम की दुरी 22 किमी और भवाली से 9 किमी है।

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