Chaitra Navratri 2023 – चैत्र नवरात्रि को लगा पंचक का ग्रहण, क्या है निवारण और कलश स्थापना की सम्पूर्ण विधि

Chaitra Navratri यानी माँ जगदम्बा की आराधना का पर्व। वैसे तो माँ का दरबार सदैव अपने भक्तों के लिए खुला रहता है लेकिन अगर माता रानी की विशेष कृपा अगर पानी हो तो नवरात्रि में कई जाने वाली मार रानी पूजा अर्चना सबसे श्रेष्ठ विकल्प है। नवरात्रि को भक्त माता रानी को प्रसन्न करने के लिए उनकी चालीसा का पाठ करते है कुछ भक्त जगराते का आयोजन करते है। कुछ भक्त व्रत अनुष्ठान करते हैं। माता की लीला अपरंपार है, माता सबकी झोली भरती है किंतु इस बार chaitra navratri 2023 पंचक मैं आने वाली है।

क्या होता है पंचक? क्या यह शुभ है या अशुभ?

अगर सामान्य भाषा में पंचक का वर्णन किया जाए तो पंचक पांच दिनों का एक समूह है, जो ज्योतिष शास्त्र की नज़र से कोई भी शुभ कार्य करने के लिए उपयुक्त नही माना जाता। हालांकि इसके दुष्ट प्रभाव से बचने के लिए पूजा पाठ और भगवान की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

क्या नवरात्रि पर होगा पंचक का दुष्प्रभाव?

जैसा का की हमने कहा ज्योतिष शास्त्र की नज़र से कोई भी शुभ कार्य पंचक के समय मे करना अशुभ माना जाता है। और यहा कार्य की व्याख्या यह है कि आप इस समय मे कोई व्यक्तिगत शुभ कार्य अगर ना करे तो पंचक के दुष्प्रभाव से बचे रह सकते है। साथ ही साथ हम आपको यह बात दे कि माता रानी की नवरात्रि व्यक्तिगत शुभ प्रसंग में नहीं गिनी जाती। यह सार्वजनिक उत्सव है जहाँ हर वर्ण के लोग माता रानी की सच्चे मन से आराधना करते है इस प्रकार पंचक का सीधे तौर पर कोई दुष्प्रभाव नही होगा।

पंचक का प्रारंभ और समाप्ति

जैसा कि हमने बताया पंचक पांच दिनों का एक समूह है जिसमे व्यक्तिगत शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है। पंचक की शुरुआत और अंत कुछ इस प्रकार है –

प्रारंभ – 19 मार्च 2023 रविवार सुबह 11 बजकर 17 मिनट

अंत – 23 मार्च 2023 शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 08 मिनट

इस प्रकार से पंचक नवरात्रि के शुरू के 2 दिनों तक रहेगा। इस समय में पंचक के दुष्ट प्रभाव से बचने हेतु माता रानी की दुर्गा चालीसा का पाठ आप अवश्य करे। इस बार पंचक का प्रारंभ रविवार से हो रहा है इस लिए यह पंचक “रोग पंचक” भी कहलाता है। इस समय मे आप अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखें।

Chaitra Navratri 2023 – शुभ मुहूर्त, तिथि और समय

नवरात्रि का उत्सव पूरे नव दिनों का होता है, इस समय की जाने वाली माँ शक्ति की आराधना और पूजा हमे विशेष फ़ल प्रदान करती है। लेकिन जैसे हर शुभ कार्य करने का एक निश्चित समय होता है वैसे ही माँ जगदम्बा की आराधना भी नवरात्रि में इन विशेष समय पर की जानी चाहिए –

नवरात्रि प्रारंभ – 21 मार्च 2023 मंगलवार को रात 10 बज के 52 मिनट से

नवरात्रि की समाप्ति – 30 मार्च 2023 गुरुवार के दिन होगी

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त – 22 मार्च 2023 बुधवार को सुबह 6:23  से सुबह 7:32 तक होगा।

मुहूर्त की अवधि – 1 घंटे 9 मिनेट

माता रानी के कलश की स्थापना करने से पूर्व जिस जगा कलश स्थापना करनी है उसका चुनाव भी कर लेना चाहिये। माना जाता है कि हो सके तो भगवान का स्थापन उत्तर पूर्व दिशा में यानी ईशान कोण में ही करना सबसे उपयुक्त माना गया है।

पूजा करते समय यजमान को स्नान कर स्वच्छ हो कर काले और नीले वस्त्रों को छोड़ कर किसी भी पारंपरिक परिधान में सज्ज हो कर माता की पूजा विधि में बैठना शुभ माना गया है।

 

Chaitra Navratri 2023 Kalash Sthapana Vidhi
Chaitra Navratri 2023 – Kalash Sthapana Vidhi

कलश स्थापना की सम्पूर्ण विधि –

नवरात्रि में माता रानी के भक्त उनकी विशेष कृपा पाने के लिए व्रत और कलश की स्थापना अपने घरों में करते है। कलश स्थापना करने के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है जो इस प्रकार है –

सामग्री

  • मिट्टी का एक छोटा घड़ा
  • जौ बोने के लिए एक मिट्टी का चौड़ा पात्र
  • साफ़ सुखी मिट्टी
  • सुपारी
  • गंगाजल
  • अशोक की पत्तियां
  • 1 या 2 रुपय के सिक्कें
  • अक्षत / कच्चे चावल
  • मोली / कलावा / रक्षा सूत्र
  • इत्र (यदि उपलब्ध हो तो)
  • जौ
  • दूर्वा घास
  • फ़ूल और फूल माला
  • लाल कपड़ा / लाल चुन्नी
  • कपूर
  • नारियल

उपरोक्त सामग्री अगर आपको उसी स्वरूप में न मिल सके तो आप इन चीज़ों का भी चुनाव कर सकते है जैसे कि, अगर आपके पास अशोक के पत्ते ना हो तो आप आम के पत्तो का या नागरवेल के पत्तो का भी प्रयोग कर सकते है।

अगर आप गंगाजल उपयुक्त मात्रा में ना ला सके तो उस परिस्थिति में आप एक पात्र में स्वच्छ पानी ले और उसमें कुछ मात्रा में गंगाजल डाल कर उसका प्रयोग विधि को संपन्न करने में कर सकते है।

अगर आपके पास मिट्टी का कलश ना हो तो आप तांबे या पित्तल के कलश का उपयोग भी कर सकते है। अगर आपके पास मिट्टी का चौड़ा पात्र उपलब्ध ना हो तो उन परिस्थिति में आप पवित्र बांस की टोकरी का भी प्रयोग कर सकते है बशर्ते आप इस पात्र को गंगाजल से स्वच्छ कर अंदर की और से पवित्र गोबर और मिट्टी का मिश्रण कर उसे लीपने के बाद उसका प्रयोग करें।

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Chaitra Navratri 2023 Kalash Sthapana Vidhi (विस्तार से)

नवरात्रि में कलश स्थापना विधि देवी देवताओं के आवाहन से पूर्व की जाती है। कलश की स्थापना करने से पूर्व आपको कलश को स्थापना हेतु तैयार करना पड़ता है उसकी विधि इस प्रकार है –

  • सर्वप्रथम मिट्टी का चौड़ा पात्र ले और उसमें थोड़ी मिट्टी डाल कर एक परत बना ले और फिर उस पर जवारे की बीज (जौ) को कुछ मात्रा में फैला दे।
  • अब फिर से उसके ऊपर मिट्टी डाल कर एक परत बनाये और जवारे के बीज को कुछ मात्रा में ले कर फैला दे, और आखिर में सारी बची हुई मिट्टी को आख़री परत के रूप में फैला दे और उस पर सभी बचें हुए जवारे के बीच को फैला दे और उस पर गंगाजल डाले।
  • अब मौली का धागा ले और मिट्टी के पात्र जिसमे हमने जवारे के बीज डाले है उसकी गर्दन पर बांधे और इसी प्रकार से कलश की गर्दन पर भी मौली को बांध लें।
  • अब कलश में गंगाजल भरे, और फिर उस जल में अक्षत, दूर्वा घास, इत्र, सुपारी एवं एक या दो सिक्के भी डाल दे।
  • अब कलश के मुख पर/ किनारों पर 5 अशोक के पत्ते रखे 
  • फ़िर एक नारियल ले और उस पर लाल चुन्नी या लाल कपड़ा लपेट कर उसे मौली से बांध लें। चुन्नी या कपड़े के साथ कुछ सिक्के भी आप रख सकते है।
  • फ़िर नारियल के नुकीले हिस्से को नीचे की और रखते हुए कलश पर ढक दें।
  • अब इन तीनो चीज़ों को तैयार करने के बाद जिस जगा आप कलश की स्थापना करना चाहते है उसे साफ कर उस पर गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र कर लें।
  • अब उस स्थान पर सुंदर रंगोली बना कर सर्वप्रथम मिट्टी का चौड़ा बर्तन जिसमे हमने जौ यानी जवारे के बीज डाले थे उसे रखें। उसके बाद, उसके ऊपर नारियल के साथ मिट्टी का कलश स्थापित करे।

इस प्रकार से कलश की स्थापना पूर्ण होती है। अब ब्राह्मण द्वारा मंत्रो का उच्चारण कर विधि वत सभी देवी-देवताओं का आवाहन कर उनकी स्थापना करें। अब इस स्थापित कलश की आपको पूरे नौ दिन पूजा अर्चना करनी है। प्रातः और संध्या के समय माता रानी की आरती कर भक्तो में उनका प्रसाद बाटना है और आवश्यकता अनुसार मिट्टी के पात्र में गंगाजल डालते रहना है। नौ दिनों में माता रानी की कृपा से जवारे फ़ुट कर उग आयेंगे।

आशा करते है कि आपको यह लेख पसन्द आया होगा अगर आपको यह लेख पसंद आये तो इसे अपने परिवार जनों एवम मित्रो के साथ शेर करना ना भूलें। धन्यवाद.!! जय माता दी।

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