कैसे हो पाठको, आशा करता हूँ आप सब स्वस्थ और मज़े मैं होंगे। आज हम फिर एक कहानी लेकर आपके समक्ष हाजिर हुए है। आज हम Akbar Birbal Ki Kahani संग्रह मेसे एक बड़ी ही अजीब कहानी ले कर आये हैँ जिसका नाम हैँ “Birbal Ki Swarg Yatra”। अगर आपको हमारी यह कहानी पसंद आती हैँ तो कृपया इसे आपने दोस्तों के साथ शेयर करना कभी ना भूले इससे हमें और उत्साह मिलता हैँ के हम आपके सामने ऐसा ही बढ़िया कंटेंट लेकर हमेशा आते रहे। तो चलिए ज्यादा बाते ना करते हुए कहानी की और बढ़ते है।
एक समय की बात है, शहनशा अकबर अपनी हजामत बनवाने शाही नाई के पास आये हुए थे। नाई आज बहोत खुश दिखाई पड़ रहा था। नाई को खुश देख बादशाह अकबर ने उससे पूछा –
अकबर – “आज बहोत खुश दिखाई दे रहे हो तुम..!! क्या बात है हमें भी बताओ हम भी सुनना चाहते है।”
नाई – “गुस्ताखी माफ़ जन्हापनाह..!! आज इतने अरसे बाद आप से मिल रहा हु तो आज में बहोत खुश हु। में खुशनसीब हु की आपकी सल्तनत में मेरा जन्म हुआ। आपकी सल्तनत में बच्चे से लेकर बुढो तक हर इन्सान वाजिब तौर पर खुश है।
आपने अपनी अवाम का बहोत ख्याल रखा हुआ है। लेकिन काश आप अपने पूर्वजो का भी उतना ही ख्याल रख पाते..!!”
अकबर – “यह क्या कह रहे हो..!!! हम अपने पूर्वजो का ख्याल नहीं रखते..!!! तुम होश में तो हो..!!!”
नाई – “गुस्ताखी माफ़ जन्हापनाह…!!! लेकिन मेरे कहने का आप ग़लत मतलब ना निकाले..!!”
अकबर – “तुम ही बताओ फिर तुम्हारी बात का क्या मतलब हो सकता है भला। हमने अपने पूर्वजो की याद में बेइन्तिआह खुबसूरत मकबरे बनवाये है। उनके सजदे में हम हर रोज़ कलमा अदा करते है। इससे ज्यादा और क्या कर सकते है हम।
और तुम कह रहे हो की हमारे पूर्वजो का हम ख्याल नहीं रखते।”
नाई – “नहीं जन्हापनाह.. वो बात नहीं है। में यह कह रहा हु की काश आप स्वर्ग जा कर ये देख पाते या पता लगा सकते की वंहा आपके पुर्वज खैरियत से है या नहीं।”
अकबर – “लगता है.. आज तुम होश में नहीं हो। तुम्हारा दिमाग तो सही है, तुम यह कह रहे हो कोई स्वर्ग जा कर पता लगा कर आये की वह हमारे पुर्वज खैरियत से है की नहीं। भला कोई स्वर्ग जिन्दा जा कर वापस कैसे आ सकता है??”
नाई – “आप अपनी जगह सही हो जन्हापनाह, लेकिन शायद आपने आपनी सल्तनत में आये हुए एक योगी बाबा के बारे में नहीं सुना है। लोग कहते है की वो इंसान को स्वर्ग भेज कर वापस भी बुला सकते है, ऐसे अंतर्यामी है वो, आपको जरूर उनसे एक
बार मिलाना चाहिए।”
अकबर – “क्या…!!! हमारी सल्तनत में एक ऐसे बाबा है जो इंसान को जिंदा स्वर्ग भेज कर वापस लाने की ताकत रखते है..!!! और हमें इस बारे में कुछ खबर ही नहीं है। यकीन नहीं हो रहा..!!”
नाई – “जी हा जन्हापनाह…!!! यह बिलकुल सच है, और यही नहीं हमारे वज़ीरे आज़म अब्दुल्ला भी ये बात जानते है।”
अकबर – “क्या यह सच है…!!! तब में खुद ही इस बात की पुष्टि कर लूँगा..!!!”
दुसरे दिन दरबार में –
आज राज दरबार पूरा भरा हुआ था। दरबार की कार्यवाही बस शुरू होने जा रही थी की बादशाह अकबर ने वज़ीर अब्दुल्ला को बुलाया। कुछ ही देर में वज़ीर अब्दुल्ला दरबार में हाज़िर हो जाते है और बादशाह अकबर पूछते है –
अकबर – “अब्दुल्ला, आप हमारे सबसे करीबी हिमायती में से एक हो। आज हम उसी नाते से आपसे कुछ पुछना चाहते है।”
अब्दुल्ला – “जी जंहापनाह, हुकुम।”
अकबर – “हमने यह सुना है कि हमारी सल्तनत में कोई बाबा आये हुए है जो यह दावा करते है कि, वो किसी जिंदा इंसान को स्वर्ग लोक में भेज कर वापस बुला सकते है। क्या यह बात सच है??”
अब्दुल्ला – “जंहापनाह, मुजे यह नही पता कि आपको इस बारे में कैसे पता चला लेकिन आज में आपसे इसी बात पर चर्चा करने वाला था। जब आपने पूछ ही लिया है तो में आपको यह बता दु की हाँ यह बात सच है मेने सुना ही नहीं बल्कि देखा भी है कि बाबा इंसान को स्वर्ग में भेज कर वापस भी बुला सकते है।”
अकबर – “यह बात सुनकर हमे तसल्ली हो गई है कि जरूर हमारी सल्तनत पर ख़ुदा का रहमो करम है। शायद इसी वज़ह से हमारी सल्तनत में ऐसे बाबा आये हुए है। हम उन्हें मिलना चाहते है। कल दरबार मे उन्हें बुलाया जाय।”
अगले दीन दरबार वापस लोगो से खचाखच भरा हुआ होता है और अकबर बादशाह बाबा को बुलाते है।
योगीबाबा – “अलख निरंजन, अलख निरंजन.. मेरा नाम निरंजन योगी बाबा है।”
अकबर – “खुशामदी, योगीबाबा.. हम तहे दिल से आपका स्वागत करते है। हमने आपके बारे में बहोत सुना है और उसकी पुष्टि हम आपसे भी करना चाहते है। क्या यह सच है कि आप जिंदा इंसान को स्वर्ग लोक में भेज सकते है और उसे वापस भी बुला सकते है।”
योगीबाबा – “हम कौन होते है, किसी को स्वर्ग में भेजने वाले, वो तो ऊपरवाले की मर्ज़ी है जिसे चाहे बुला ले और वापस भी भेज दे। हम तो बस एक ज़रिया हैं ऊपरवाले के हुक्त की तामील करते है।”
अकबर – “बहोत ख़ूब, हम आपसे बहोत ख़ुश हुए। शायद जो हम आज तक सिर्फ खयालो में सोचा करते थे वो शायद अब हक़ीक़त बनने वाला है। हम आपसे यह गुजारिश करते है कि हम स्वर्ग जाना चाहते है। हमें यह मुक्कमल करना है कि हमारे पूर्वज स्वर्ग में निहायती ख़ैरियत से हैं।”
योगीबाबा – “क्यों नहीं। हम आपको जरूर भेजेंगे। यहीं तो हमारा काम है। लेकिन इस यात्रा में कम से कम दो महीने लगेंगे। अगर आप स्वर्ग के मोह में न फसे तो।”
अब्दुल्ला – “गुस्ताख़ी माफ़ जंहापना लेकिन अगर आप चले गए तो यहाँ सल्तनत को कौन संभालेगा। यह काम आपके बिना कोई और नही कर सकता। क्या ये नहीं हो सकता कि आपकी जग़ह आप अपने किसी भरोसेमंद आदमी को भेंजे जो स्वर्ग के मोह जाल में न फ़ंस कर आपके पास सही समय पर वापस आ सके और आपको वँहा का सही हाल सुना सके। अगर मेरी माने तो ऐसा केवल एक ही इंसान आपके राज दरबार में उपस्थित है और वो ओर कोई नहीं हमारे बीरबल जी है।”
बरीबल का नाम सुन कर सब चकित हो गये। कुछ लोग सोच में पड़ गये तो कुछ लोगों को यह सुजाव बहोत पसंद आया।
अकबर – “बीरबल हमें तुम पर पूरा भरोसा है कि यह काम तुम्हारे अलावा और कोई नही कर सकता है, लेकिन फ़िर भी हम तुमसे मुक्कमल करना चाहते है कि क्या तुम इस काम को करने के लिए राज़ी हो या नहीं??”
बादशाह अकबर की बात सुन सबकी निगाहें बरीबल पर टिक चुकी थी और उतने में बीरबल बोले –
बीरबल – “क्यों नहीं जंहापना ये तो मेरी ख़ुशक़िस्मती है कि मुजे फ़िरसे आपकी खिज़मत करने का मौका मिला। लेकिन योगीबाबा मुझे स्वर्ग भेजे उससे पहले मुजे उनसे कुछ पुछना है।”
अकबर – “बेशक, क्यों नही जरूर पूछिये।”
बीरबल – “जैसा कि योगिराज़ ने कहा इस कार्य मे कम से कम दो महीने का वक्त लग सकता है। में ये जानना चाहता हु की योगिराज़ आप मुझे स्वर्ग कैसे भेजेंगे?”
योगीबाबा – “मैं अपने तपोबल से एक पवित्र अग्नि का निर्माण करूँगा और तुमको उस अग्नि में प्रवेश करना होगा। वैसे तो यह कार्य कहीं भी हो सकता है किंतु अगर हम गंगा किनारे इस कार्य को करे तो बहोत शुभ होगा।”
अकबर – “क्यों नहीं..!!”
बीरबल बहोत ध्यान से बाबा की सारी बातें सुन रहे थे। अंत मे वह मुश्कुराये और कहा –
बीरबल – “जंहापना, गुस्ताख़ी माफ़ हो तो में आपसे एक गुज़ारिश करना चाहता हूँ। मै बेशक इस स्वर्ग की यात्रा पर जाऊंगा लेकिन मेने बहोत दिनों से अपने गाँव का रुख नहीं किया है। एक अरसा हो गया है अपने गाँव को वापस गये हुए। में आपसे 5 दिन की मोहलत मांगता हूं। में इस यात्रा पर जाने से पहले एक बार अपने गाँव हो आना चाहता हूँ।”
अकबर – “बेशक़, क्यों नहीं.. आपकों पूरी इज़ाज़त है आप अपने गाँव हो कर आइये”
5 दिन बीत गये और वो दिन आ गया जब बीरबल को स्वर्ग की यात्रा पर जाना था। सारी तैयारी हो चुकी थीं, गंगा तट पर हवनकुंड सजा हुआ था। योगीबाबा ने पवित्र मंत्रो का उच्चारण शुरू किया और कुछ देर बाद बरीबल को खड़े हो कर हवनकुंड में कूदने को कहा। बीरबल खड़े हुए और बाबा की आहुति के साथ एक प्रचंड ज्वाला निकली और बीरबल कूद पड़े। देखा तो बीरबल हवनकुंड की अग्नि में समाहित हो चुके थे। यह देख बादशाह अकबर बड़े ही ख़ुश हुए अब उन्हें बस बीरबल के आने का इंतज़ार था।
दो महीने बित चुकें थे और अभी तक बीरबल की कोई ख़बर आई नही थी। बादशाह अकबर को अब चिंता होने लगी थीं कि आख़िरकार बीरबल अभी तक लौट के वापस क्यों नहीं आये। उनकी बेसबरी अब बढ़ चुकी थीं उनको यक़ीन था कि बीरबल किसी भी हाल में वापस जरूर आयेंगे और इस यकीन को पक्का करने के लिए उन्होंने अपने वज़ीर अब्दुल्ला को बुलाया।
अब्दुल्ला – “जी जंहापनाह, आपने मुजे याद किया..!!”
अकबर – “आज दो महीने बीत चुके है, लेकिन बीरबल की कोई ख़बर हमे नहीं आई है। क्या तुम योगीबाबा से पूछ कर पता लगवा सकतें हो क्या??”
अब्दुल्ला – “गुस्ताख़ी मांफ जंहापना, लेकिन अगर आपको याद हो तो योगीबाबा ने कहा था कि शायद वो स्वर्ग के मोह जाल में फस गए हो अब और वो दुबारा वापस आना ही न चाहते हो..!!”
अकबर – “अब्दुल्ला..!!! ये तुम क्या कह रहे हो। हमे खुद से ज्यादा बीरबल पर भरोसा है। वो कभी ऐसा कर ही नहीं सकतें। वो जरूर वापस आयेंगे बेशक वापस आयेंगे। आप योगीबाबा को दरबार में बुलाने का प्रबंध करे।”
कुछ ही पलों में दरबार मे हलचल मच जाती है। सभी दरबारी बीरबल के नाम का जयकारा गाने लगते है। सभी और यह ख़बर फैल जाती है कि बीरबल वापस आ गये है। यह बात सुनकर राजा अकबर फुले नहीं समाते है और बीरबल से मिलने तुरन्त दरबार में पहुँच जाते है। बादशाह जैसे ही दरबार मे पहुचते है वैसे उनके होश उड़ जाते है। बीरबल का पूरा हुलिया बदल चुका था। बीरबल को अब बहोत बड़ी दाढ़ी जो आ गई थी।
अकबर – “खुशामदी, खुशामदी बीरबल.. आज हम कितने ख़ुश है तुम्हें बता नही सकते।”
बीरबल – “शुक्रिया जंहापना..!!! यह बस आपकी दुआओं का नतीज़ा है कि मुजे स्वर्ग की हवा नहीं लगी और में समय से वापस आ गया।”
अकबर – “हा.. हा.. हा.. बहोत ख़ूब बीरबल..!!! लेकिन में ये क्या देख रहा हूँ तुम्हे वहाँ अपनी हज़ामत करने का वक्त नहीं मिला था क्या?? ये क्या अपना हुलिया बना रखा हुआ हैं..!!”
बीरबल – “गुस्ताख़ी माफ़ जंहापनाह, वैसे आपने मुजे जिस कार्य के लिये वहाँ भेजा था वो में कर आया हु.. वहाँ वैसे तो सभी आपके पूर्वज सह कुशल है किंतु वहाँ एक समस्या है।”
अकबर – “समस्या, कोंन सी समस्या हमे अभी बताओ हम अभी उसका निवारण कर देंगे।”
बीरबल – “बेशक जंहापनाह, मुजे यकीन है ये उतनी बड़ी समस्या नहीं है। स्वर्ग में सब ठीक है सारी सुख सुधाये उपलब्ध है लेकिन वहाँ एक नाई की कमी है.. ये जो मेरा आप हुलिया देख रहे है यह उसी कमी का नतीजा है।”
अकबर – “हा.. हा.. हा.. बस इतनी सी बात.. हम अभी हमारे शाही नाई को वहाँ भेजने का प्रबंध करते है। सेवकों हम अभी हमारे शाही नाई और योगीबाबा को दरबार में मिलना चाहते हैं।”
कुछ ही देर में सब दरबार में जमा हो जाते है। जैसे ही नाई और योगीबाबा बीरबल को वहाँ देखते है उनके होश उड़ जाते है।
अकबर – “हमें बेहद ख़ुशी है कि आज हम यह ख़बर आपके सामने बयां कर रहे है। हमारे सबसे भरोसेमंद और हमारे नवरत्नों में से एक बीरबल ने एक असंभव काम संभव कर दिखाया है। वो स्वर्ग की खुशहाल ज़िन्दगी को छोड़ वापस धरती पर लौट आये है। और हम योगीबाबा और हमारे शाही नाई का भी तहे दिल से शुक्रिया अदा करते है क्यों कि यह उनके बिना संभव नही था। जैसा कि बीरबल ने हमसे कहा वहाँ स्वर्ग में सब ख़ैरियत से है हमे बेहद सुकून मिला है लेकिन वहाँ एक छोटी सी कमी हमे खल रही है, लेकिन हम यह जानते है कि यह कमी भी हम पूरी कर देंगे इसी लिए हमने दरबार मे दुबारा योगीबाबा और हमारे शाही नाई को वापस बुलाया है।”
बादशाह अकबर का यह बयां सुनकर नाई और योगीबाबा चोंक पड़े और उनसे रहा नही गया –
नाई – “शुक्रिया जंहापनाह, लेकिन गुस्ताख़ी माफ़ हम आमादा हो रहे है यह जानने के लिए की आख़िर हम कैसे आप की मदद कर सकें.!!”
अकबर – “हमें बेहद ख़ुशी है कि हमारे दरबार में आप जैसे वफ़ादार और राजहितैषी लोग है। हम आपको बता दें वो एक छोटी सी समस्या क्या है। वैसे आप बीरबल का हुलिया देख पा रहे होंगे। स्वर्ग में एक नाई की कमी आन पड़ी है। हम चाहते है कि आप स्वर्ग जा कर इस समस्या का निवारण करें।”
बादशाह की बात सुन कर नाई के होश उड़ गये और वो जोर से चीख पड़ा –
नाई – “क्या…!!!”
और जमीन पर बेहोश हो कर गिर पड़ा..!! उसे तुरंत शाही वैध के पास ले जाया गया। जब वो होश में आया तो बादशाह अकबर उसके सामने ही थे। बादशाह को सामने देख वो बेसुद्ध हो कर उनके पैरों में गिर पड़ा और कहा –
नाई – “जंहापना, जंहापना.. मुजे माफ़ कर दीजिये, यह सब वज़ीर अबुल्ला के कहने पर मैंने किआ था। वो बरीबल की शोहरत से जलते थे और उन्हें अपने रास्ते से हटाना चाहते थे। यह बाबा भी पाखंडी है। मुजे यक़ीन नही हो रहा बीरबल उस आग से कैसे बच निकले। लेकिन मुज़े यह यक़ीन है में नहीं बच पाऊंगा। मुज़े माफ कर दीजिये जंहापनाह।”
अकबर – “इतनी बड़ी साज़िश.. और वो भी बीरबल के ख़िलाफ़। सिपाहियों अभी इस नाई और पाखंडी बाबा को काल कोठरी में डाल दिया जाये। और वज़ीर अब्दुल्ला हमे आपसे यह उम्मीद कतय नही थी आप जैसे वफ़ादार इंसान को यह करने की क्या जरूरत थी हम चाहें तो अभी आपको सूली पर लटका सकते है लेकिन आपने हमारी कई बार हिफाज़त की है उस लिहाज़ से हम आपको देश निकाला दे रहे है। सिपाहियों अभी वज़ीर अब्दुल्ला को हमारी सल्तनत के बाहर छोड़ दिया जाये और ध्यान रहे ये दुबारा हमारी सल्तनत में ना दिखने पाये।”
सिपाहियों ने अकबर बादशाह के कथन का पूर्ण रूप से पालन किया।
अकबर – “बीरबल क्या तुम्हें सच मे इस साज़िश का पहले से पता था?? यह सब तुमने कैसे किआ??”
बीरबल – “जी, जंहापनाह!! जब पहेली बार योगीबाबा ने मुजे कहा कि तुम्हें स्वर्ग जाने के लिए अग्नि में प्रवेश करना होगा तभी मुजे लगा कि दाल में कुछ काला जरूर है। इसी लिए फिर मैंने आपसे 5 दिनों की महोलत मांगी। और उन 5 दिनों में मैंने एक सुरंग का निर्माण करवाया जो उस जगह से सीधे मेरे घर को जाती है।
विधि वाले दिन जब योगीबाबा अग्नि में अपनी आहुति डाल रहे थे तब में उस सुरंग के मुख पर ही खड़ा था। जैसे ही अग्नि की ज्वाला भड़की और योगीबाबा के आदेश पर में उस सुरंग में कूद पड़ा और वहाँ से सीधे अपने घर पहुंच गया। मुज़े इन तीनो से खुद कुबूल करवाना था कि यह साज़िश उन्होंने ही रचाई है इसी लिए मेने अपनी दाढ़ी बधाई क्यों कि में जनता था इस साजिश की सबसे कमज़ोर कड़ी नाई ही हैं। और इस तरह मेने इस साज़िश का पर्दा फाश किआ।”
अकबर – “वाह.. बीरबल.. वाह.. एक तुम्ही हो जो इस साज़िश का पर्दा फाश कर सकते थे। तुम्हारे जैसा बुद्धिमान मित्र पा कर हम बहोत ख़ुश है।”
बीरबल – “शुक्रिया जंहापनाह..!! शुक्रिया..!!”
तो इस तरह बीरबल ने अपनी चतुराई से योगीबाबा, नाई और वज़ीर का पर्दा फाश किआ।