माँ Kali की महिमा अपरंपार है। माँ काली, माँ आदिशक्ति का एक स्वरूप है। देवी काली को ‘कालिका’, ‘काली’, या ‘महाकाली’ के नाम से भी जाना जाता है। देवी माँ काली का स्वरूप सभी देवी ओ के स्वरूप में सबसे भयावह स्वरूप है। माँ काली की उत्पत्ति दानवो का संहार करने के लिए हुई है। माँ काली ने ‘रक्तबीज’, ‘अंधक’ और नरकासुर नामक असुर का वध करने के लिए अवतार लिया या। माँ यह स्वरूप इतना भयावह है कि उनको शांत करने के लिये देवा दी देव महादेव ने एक बार स्वयं को उनके समक्ष समर्पित कर दिया था, महादेव माँ के सामने पीठ के बल लेट गए थे, टैब जाके उनका क्रोध शांत हुआ था। देवी माँ काली की आराधना विशेष रूप से तांत्रिक साधना में की जाती है। मान्यता है कि जो भक्त माँ की सच्चे मन से माँ की आराधना करता है और माँ की “Shri Kali Chalisa” का पाठ करता है तो उसके सारे कष्ट माँ हर लेती है। तो आइए आप और हम माँ की “श्री काली चालीसा” का पाठ करे, तो बोलिये श्री माँ काली की जय –
॥ श्री काली चालीसा (हिन्दी) ॥
!! जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार,
महिष मर्दिनी कालिका , देहु अभय अपार,
अरि मद मान मिटावन हारीमुण्डमाल गल सोहत प्यारी,
अष्टभुजी सुखदायक मातादुष्टदलन जग में विख्याता !!
!! भाल विशाल मुकुट छवि छाजैकर में शीश शत्रु का साजै,
दूजे हाथ लिए मधु प्यालाहाथ तीसरे सोहत भाला,
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचेछठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे,
सप्तम करदमकत असि प्यारीशोभा अद्भुत मात तुम्हारी !!
!! अष्टम कर भक्तन वर दाताजग मनहरण रूप ये माता,
भक्तन में अनुरक्त भवानीनिशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी,
महशक्ति अति प्रबल पुनीतातू ही काली तू ही सीता,
पतित तारिणी हे जग पालककल्याणी पापी कुल घालक !!
!! शेष सुरेश न पावत पारागौरी रूप धर्यो इक बारा ,
तुम समान दाता नहिं दूजाविधिवत करें भक्तजन पूजा,
रूप भयंकर जब तुम धारादुष्टदलन कीन्हेहु संहारा,
नाम अनेकन मात तुम्हारेभक्तजनों के संकट टारे !!
!! कलि के कष्ट कलेशन हरनीभव भय मोचन मंगल करनी,
महिमा अगम वेद यश गावैंनारद शारद पार न पावैं,
भू पर भार बढ्यौ जब भारीतब तब तुम प्रकटीं महतारी,
आदि अनादि अभय वरदाताविश्वविदित भव संकट त्राता !!
!! कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हाउसको सदा अभय वर दीन्हा,
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशाकाल रूप लखि तुमरो भेषा,
कलुआ भैंरों संग तुम्हारेअरि हित रूप भयानक धारे,
सेवक लांगुर रहत अगारीचौसठ जोगन आज्ञाकारी !!
!! त्रेता में रघुवर हित आईदशकंधर की सैन नसाई,
खेला रण का खेल निरालाभरा मांस-मज्जा से प्याला,
रौद्र रूप लखि दानव भागेकियौ गवन भवन निज त्यागे,
तब ऐसौ तामस चढ़ आयोस्वजन विजन को भेद भुलायो !!
!! ये बालक लखि शंकर आएराह रोक चरनन में धाए,
तब मुख जीभ निकर जो आईयही रूप प्रचलित है माई,
बाढ्यो महिषासुर मद भारीपीड़ित किए सकल नर-नारी,
करूण पुकार सुनी भक्तन कीपीर मिटावन हित जन-जन की !!
!! तब प्रगटी निज सैन समेतानाम पड़ा मां महिष विजेता,
शुंभ निशुंभ हने छन माहींतुम सम जग दूसर कोउ नाहीं,
मान मथनहारी खल दल केसदा सहायक भक्त विकल के,
दीन विहीन करैं नित सेवापावैं मनवांछित फल मेवा !!
!! संकट में जो सुमिरन करहींउनके कष्ट मातु तुम हरहीं,
प्रेम सहित जो कीरति गावैंभव बन्धन सों मुक्ती पावैं,
काली चालीसा जो पढ़हींस्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं,
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बाकेहि कारण मां कियौ विलम्बा !!
!! करहु मातु भक्तन रखवालीजयति जयति काली कंकाली,
सेवक दीन अनाथ अनारीभक्तिभाव युति शरण तुम्हारी !!
॥ दोहा ॥
!! प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ,
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ !!
॥ Shri Kali Chalisa (English) ॥
!! Jai kali Kalimalaharan, Mahima Agam Apaar,
Mahish Mardini Kalika, Dehu Abhae Apaar,
Ari Mad Maan Mitavan Hari Mundamal Gal Sohat Pyari,
Ashtbhuji Sukhdayak Mata Dushtdalan Jag Me Vikhyata !!
!! Bhaal Vishal Mukut Chhavi Chajekar Me Shish Shatru Ka Saje,
Duje Haath Liye Madhu Pyala Haath Tesare Sohat Bhala,
Chauthe Khappar Khadag Kar Panche Chhathe Trishul Shatru Bal Janche,
Saptam Kar Damakat Asi Pyari Shobha Adbhut Maat Tumhari !!
!! Ashtam Kar Bhagatan Var Data Jag Mannhran Roop Ye Mata,
Bhagatan Me Anurakt Bhavani Nishdin kate Rishi-Muni Gyani,
Mahashakti Ati prabal Punita Tu Hi Kali Tu Hi Sita,
Patit Tarini He Jag Palak Kalyani Paapi Kul Ghalak !!
!! Shesh Suresh Na Pavat Para Gauri Roop Dhaeo Ek Bara,
Tum Saman Daata Nahi Duja Vidhivat Kare Bhagatjan Pooja,
Roop Bhayankar Jab Tum Dhara Dushtdalan Kinheu Sahara,
Naam Anekan Maat Tumhare Bhagatjano Ke Sankat Taare !!
!! Kali Ke Kasht Kaleshan Harni Bhav Bhay Mochan Mangal Karni,
Mahima Agam Ved Yash Gave Narad Sharad Paar Na Pave,
Bhoo Par Bhar Badhyau Jab Bharitab Tab Tum Prakati Mehtari ,
Aadi Anadi Abhe Vardaata Vishvavidit Bhav Sankat Traata !!
!! Kusame Naam Tumharo Linho Usko Sada Abhe Var Dinha,
Dhyan Dhare Shruti Shesh Suresha Kaal Roop Lakhi Tumaro Bhesha,
Kalua Bhairo Sang Tumhare Ari Hit Roop Bhayanak Dhare,
Sevak Langur Rahat Agari Chauisath Jogan Agyakari !!
!! Treta Mein Raghuvar hit Aai Daskandhar Ki Sain Nasai,
Khela Ran Ka Khel Nirala Bhara Mans-Majja Se Pyala,
Raudra Roop Lakhi Danav Bhage Kiyo Gavan Bhavan Nij Tyage,
Tab Esau Tamas Chadh Aayo Svajan Vijan Ko Bhed Bhulayo !!
!! Ye Baalak Lakhi Shankar Aaye Raah Rok Charnan Me Dhaye,
Tab Mukh Jib Nikar Jo Aai Yahi Roop Prachalit Hai Mayi,
Badhyo Mahishasur Mad Bhari Pidit Kiye Sakal Nar-Nari,
karun pukar sunni bhagatan kipeer mitawan hit jan jan ki !!
!! Tab parkti jan sen smetanam pda maa mehesh vijeta,
Shubh nishubh hne chin mahitum samm jug dusr kou nahi,
Mann mathanhari khal dal kesada sahaek bhagat vikal ke,
deen vheen kre nitt seva pawe mannvanchit phal meva !!
!! Sankat me jo simran kari unke khasat matu tum hari,
Prem sehat jo karat gabebhav bhandhan so mukti pave,
kali chalisa jo pade waraglok bino bhandhan chdi,
deya vishit heri jagdambkehi karan maa kiyo vilambha !!
Karhu Matu Bhagatan Rakhvaali Jayati Jayati Kali Kankali,
Sevak Deen Anath Anari Bhagatibhav Yuti Shran Tumhari ll
ll Doha ll
!! Prem Sahit Jo Kre Kali Chalisa Path,
Tinki Poran Kamna Hoe Sakl Jag Thath !!