आशा करते है आप सभी को लालची राजा मिदास की कहानी ज्ञात ही होगी। देखा जाए तो मिदास के पास बेशुमार सोना था उसे सोने की कभी कमी खलने नहीं वाली थी फिर भी उसकी सोना पाने की लालसा इतनी अधिक थी की वो जितना भी सोना प्राप्त करता उसे और सोना पाने का लालच मन में जागता था।
उसे हमेशा यह भय रहता की कंही उसका सोना कम न हो जाए इस लिए उसने अपने सभी सोने को अपने खजाने में ज़मा कर लिया था और हर रोज उसे गीना करता था।
एक दिन वो अपने खजाने में पड़े सोने को बड़ी उत्सुकता से गीन रहा था की अचानक कंही से एक आदमी आता है और उसे कहता है – “तुम मुजसे ऐसा कोई वरदान मांग सकते हो जो तुम्हे इस दुनिया में सबसे अधिक ख़ुशी देता हो।”
राजा उस आदमी को देख कर अचम्भे में पड़ गया और बड़ी अचरज से उसे एक तुक देखने लगा। वो आदमी बड़ा ही अजीब जान पड़ता था। लेकिन वो इस खजाने तक आखिर कार आया कैसे? यह जरूर कोई जीन होगा या फरिस्ता शायद अल्लाह ने खुद इसे मेरी ख्वाहिश पूरी करने के लिए यहाँ भेजा होगा।
अब राजा ख़ुशी ख़ुशी उसे अपनी मांग कहता है। “में जिस चीज़ को छुलू वो सोना बन जाये..!!” वो आदमी ने कहा – “क्या तुम सच में मुजसे यही चाहते हो..!!”
राजा ने उसे कहा जी हां यही मेरी ख्वाहिश है। क्या तुम इसे पूरी कर सकते हो..!!! अगर तुम मुजसे मजाक कर रहे हो तो तुम्हे इसको साजा मिलेगी और तुम्हे बंदी गृह में डाल दिया जायेगा।
वो अजनबी आदमी मुस्कुराते हुए बोला – “जाओ, कल सूबे सूरज की पहेली किरण पड़ते ही तुम जिस किसी चीज़ को छुओ गे वो सोने में तब्दील हो जाएगी।”
राजा उस आदमी की बात सुन कर बहोत खुश हुआ लेकिन उसे एक पल के लिए ऐसा लगा कंही वो कोई सपना तो नहीं देख रहा ना..!!! शायद ये एक सपना ही है की मेरी नींद खुलेगी और सब पहेले की तरह हो जायेगा। वो इसी उम्मीद में सो गया और सूबे हो गई।
जैसे ही सूबा हुई उसे उस अजनबी की बात याद आई और उसने अपने पलंग को छुआ। जैसे ही उसने छुआ वो सोने का बन गया। उसे बड़ा ही ताज्जुब हुआ और वो ख़ुशी से पागल हो गया। उसे अपने जान से भी ज्यादा प्यारी एक लौती बच्ची की आवाज़ सुनाई दी वो सीधा उठ कर खिड़की के पास गया और खिड़की को जैसे ही खोला वो सोने में तब्द्दिल हो गई। वो दुबारा ख़ुशी से झूम उठा और उसको लगा मुझे एक किताब पढ़नी चाहिए और वो अपने पलंग के पास पड़े हुए टेबल पर रखी किताब को जैसे छूता है वो भी सोने में तब्दील हो जाती है। अब उसे अपने इस मिले हुए वरदान से डर सा लगने लगता है। उसका गला सुख जाता है और वो पानी को जैसे छूता है वो भी सोने में तब्दील हो जाता है। उसके आँखे खुली की खुली रह जाती है। अब वो वही पड़े हुए फल को छूता है और वो भी पलक जबकते सोने में बदल जाते है। अब वो रोने लगता है और खुदा से माफ़ी मांगने लगता है – “याँ अल्लाह…!! मुझे माफ़ कर दो.. मुझे मेरी गलती का सबक मिल चूका है।”
इतने में उसकी प्यारी बच्ची दरवाजा खोल कर राजा के कमरे में आ पहोच ती है और सीधा जाके राजा की बाहों में लिपट जाती है। राजा कुछ समजे उससे पहेले ही वो सोने में बदल जाती है। ये देख राजा फुट फुट कर रोने लगता है और उस अजनबी आदमी को पुकारता है। राजा की पुकार सुन वो आदमी फिर से वह आ पहोचता है। और पूछता है क्या वो अपने मिले हुए वरदान से खुश तो हे ना। राजा अब पूरी तरह से टूट चूका होता है और कहता है। आप मुजसे ये अपना वरदान अभी वापस ले ले मुझे अब ये नहीं चाहिए। बदले में वो अपने पास जितना भी रखा हुआ सोना है वो उसे देने की बात करने लगता है। राजा गिडगिडाते हुए कहता है मुझे मेरी जान से ज्यादा प्यारी बच्ची लौटा दो मुझे और कुछ नहीं चाहिए। अगर वही नहीं रही मेरी जिंदगी में तो में इन पैसो का क्याँ करूँगा।
अजनबी आदमी ने फिर मुस्कुराते हुए कहा – “मुझे लगता है तुम्हे जो सबक मिलाना चाहिए था वो तुम्हे मिल चूका है। अब तुम पहेले से कंही ज्यादा बुद्धिमान बन चुके हो।” और वो अपना दिया हुआ वरदान वापस ले लेता है। अब राजा को उसकी बेटी वापस मिल जाती है और उसी के साथ उसे अपनी पूरी जिंदगी भर कभी न भूल पाने वाला सबक भी मिलता है।