कालांतर में देवर्षि नारदजी ने देवधिदेव महादेव से पूछा – “हे महादेव..!! आप मुझे त्रिस्पृशा व्रत का वर्णन करे जिसे सुनकर सभी अपने कर्मबंधन से मुक्त हो जाते है।
तब शिवजी ने कहा – “देवाधिदेव भगवान ने सभी प्राणियों की मोक्षप्राप्ति हेतु इस व्रत की सृष्टि की है, इसी लिए इस व्रत को वैष्णवी तिथि के नाम से भी संबोधित किया जाता है। भगवान श्री हरी ने जब गंगाजी की पापमुक्ति के बारे में पूछने पर स्पष्ट किया था की, जब एक ही दिन एकादशी, द्वादशी और रात्रि के अंतिम प्रहर में त्रयोदशी भी हो तो उसे त्रिस्पृशा (Trisparsha Ekadashi) समजना चाहिए। यह तिथि सभी प्राणी मात्र को धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष प्रदान करनेवाली तथा सहस्त्रो तीर्थो से भी अधिक मूल्यवान है। इस पुण्यतिथि के अवसर पर भगवान श्री हरी के साथ साद गुरु की पूजा करनी चाहिए।
यही नहीं मात्र इस त्रिस्पृशा एकादशी के व्रत से एक हज़ार एकादशी वृतो का फल प्राप्त होता है। इस एकादशी के अवसर पर रात्रि जागरण करने वाला भगवान श्री विष्णु के स्वरुप में लीं हो जाता है।
यह व्रत महान दुखो का विनाश करने वाला, सभी पाप-राशियों का शमन करने वाला और सम्पूर्ण कामनाओं की पूर्ति करने वाला है। इस त्रिस्पृशा एकादशी (Trisparsha Ekadashi) व्रत के करने मात्र से अगर किसी के द्वारा भ्रह्म हत्या जैसा महा पाप भी अगर हुआ हो तो वो भी इस पाप से मुक्ति पा लेता है। इस व्रत से सौ वाजपेय और सहस्त्र अश्वमेघ यज्ञ का पुण्यफल प्राप्त होता है। इस व्रत को श्रद्धाभाव और पूर्ण निष्ठां से करने वाला पुरुष मातृ कुल , पितृ कुल, पत्नी कुल के साथ विष्णुलोक में अपना स्थान प्रतिष्ठित करता है। इस व्रत के पवन अवसर पर सभी प्राणियों को द्वादशाक्षर मंत्र का अर्थात ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए। जिस किसीने इस व्रत का अनुष्ठान किया हो उसने सम्पूर्ण वृतो का अनुष्ठान कर लिया ऐसा माना जाता है।
और पढ़े –
- जया एकादशी व्रत कथा सम्पूर्ण – Jaya Ekadashi Vrat Katha Sampurn In Hindi
- देवोत्थान एकादशी व्रत कथा सम्पूर्ण – Devutthana Ekadashi Vrat Katha Sampurn In Hindi
- श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा सम्पूर्ण – Shravana Putrada Ekadashi Vrat Katha Sampurn In Hindi
- रमा एकादशी व्रत कथा सम्पूर्ण – Rama Ekadashi Vrat Katha Sampurn In Hindi