“ॐ गण गणपते नमः” देवो के देव महादेव के पुत्र पार्वतीनंदन श्री Ganesh को शत शत नमन। पूरा संसार प्रभु को अन-गिनत नामो से सम्भोदित करता है। कोई उन्हें “श्री गणेश” कहेता है तो कोई उन्हें गणपति, कोई उन्हें गौरीनंदन कहेता तो कोई उन्हें विनायक। प्रभु के हर नाम के साथ उनकी एक पवन कथा जुडी हुई है। संसार में ऐसा कोई नहीं जो “श्री गणेश” की महिमा को न जनता हो। हर साल भाद्रपद माह की कृष्णपक्ष की चतुर्थी को पुरे विश्व में “गणेश चतुर्थी” उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बप्पा पुरे १० दिनों तक अपने भक्तो के बिच रह कर उन पर अपनी कृपा बरसाते है। भगवान गणेश दयालु है और बुद्धि के देवता है। ऐसे प्रथमपूज्य श्री गणेश की “Shri Ganesh Chalisa” का पठन जन्म जन्मांतर के पापो से हमें मुक्ति दिलाता है। उनकी महिमा असीम और अनंत है, तो आइये आप और हम अज प्रभु की “श्री गणेश चालीसा” का पाठ कर अपना जीवन सफल बनाये। तो बोलिए “गणपति बप्पा मोरिया…!!!”
ll श्री गणेश चालीसा (हिन्दी) ll
॥दोहा॥
!! जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल,
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल,
जय जय जय गणपति गणराजूमंगल भरण करण शुभ काजू,
जै गजबदन सदन सुखदाता विश्व विनायक बुद्घि विधाता !!
!! वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन,
राजत मणि मुक्तन उर माला स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला,
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं मोदक भोग सुगन्धित फूलं,
सुन्दर पीताम्बर तन साजित चरण पादुका मुनि मन राजित !!
!! धनि शिवसुवन षडानन भ्राता गौरी ललन विश्वविख्याता,
ऋद्घिसिद्घि तव चंवर सुधारे मूषक वाहन सोहत द्घारे,
कहौ जन्म शुभकथा तुम्हारी अति शुचि पावन मंगलकारी,
एक समय गिरिराज कुमारी पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी !!
!! भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा,
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी बहुविधि सेवा करी तुम्हारी,
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा,
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्घि विशाला बिना गर्भ धारण, यहि काला !!
!! गणनायक, गुण ज्ञान निधाना पूजित प्रथम, रुप भगवाना,
अस कहि अन्तर्धान रुप है पलना पर बालक स्वरुप है,
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना,
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं !!
!! शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं,
लखि अति आनन्द मंगल साजा देखन भी आये शनि राजा ,
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं बालक, देखन चाहत नाहीं,
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो !!
!! कहन लगे शनि, मन सकुचाई का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई,
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ शनि सों बालक देखन कहाऊ,
पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा ,
गिरिजा गिरीं विकल है धरणी सो दुख दशा गयो नहीं वरणी !!
!! हाहाकार मच्यो कैलाशा शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा ,
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो काटि चक्र सो गज शिर लाये,
बालक के धड़ ऊपर धारयो प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो,
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे !!
!! बुद्घ परीक्षा जब शिव कीन्हा पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा,
चले षडानन, भरमि भुलाई रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई,
चरण मातुपितु के धर लीन्हें तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें,
तुम्हरी महिमा बुद्घि बड़ाई शेष सहसमुख सके न गाई !!
!! मैं मतिहीन मलीन दुखारी करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी,
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा जग प्रयाग, ककरा, दर्वासा,
अब प्रभु दया दीन पर कीजै अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै !!
ll दोहा ll
!! श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान,
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान,
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश,
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश !!
और पढ़े – श्री सरस्वती चालीसा
॥ Shri Ganesh Chalisa (English) ॥
ll Doha ll
!! Jai ganapati sadgunsadan kavi var badan kripal,
Vighn haran mangal karan jai jai girijalala,
Jai jai ganapati ganraju mangal bharan karan shubh kaju,
Jai gajbadan sadan sukhadata vishva vinayak buddhi vidhata !!
!! Vakr tund shuchi shund suhavan tilak tripund bhaal mann bhavan,
Rajat manni muktan ur mala svarn mukut shir nayan vishala,
Pustak paani kuthar trishulmodak bhog sugandhit phul,
Sundar pitambar tan sajitcharan paduka muni mann rajit !!
!! Dhani shiv suvan shadanan bhratagauri lalan vishva-vidhata,
Ridhi sidhi tav chavar sudharemushak vahan sohat dvare,
Kaho janm shubh katha tumhariati shuchi pavan mangal kari,
Ek samae giriraj kumariputar hetu tapp kino bhari !!
!! Bhayo yage jab purn anupataba pahuncho tum dhari dvij roopa,
Atithi jani kai gauri sukharibahuvidhi seva kari tumhari,
Ati prasann hai tum var dinamatu putrahit jo tapp kina,
Milahi putar tuhi budhi vishalabinaa garbh dharan yahi kala !!
!! Gannayak, gunn gyan nidhanapujit pratham roop bhagvana,
Ass kahi antadhyan roop haipalana par balak svroop hai,
Bani shishu rudan jabhi tum thanalakhi mukh sukh nahin gauri samana,
Sakal magan, sukh mangal gavahenabh te suran suman varshavahin !!
!! Shambhu uma, bahu daan lutavahesur munijan, sut dekhan avahe
Lakh ati anand mangal sajadekhan bhi aaye shani raja
Nijj avgun guni shani mann mahibalak, dekhan chahat nahi
Girija kachu mann bhed badhaoutsav mor na shani tuhe bhayo !!
!! Kahan lage shani, mann sakuchaikaa karihau, shishu mohi dikhai,
Nahi vishvaas, uma ur bhaeushani so balak dekhan kahau,
Padatahe, shani driga kon prakashabalak sir udi gayo akasha,
Girija giri vikal hai dharaniso dukh dasha gayo nahi varani !!
!! Hahakar macheo kailashashani kinho lakhi sut ko nasha,
Turat garud chadhi Vishnu sidhaeokati chakar so gaj shir laye,
Balak ke dhad upar dhareo, praanmantra pade shankar dareo,
Naam ‘ganesh’ shambhu tab kinepratham pooja budhi nidhi, var dine !!
!! Budhi pariksha jab shiv kinaprithvi kar pradakshina lene,
Chale shadanan, bharam bhalairach baith tum budhi upai,
Charan matu-pitu ke dhar lenetinke saat pradakshin kine !!
!! Tumhari mahima budhi badai.shesh sahas mukh sake na gai,
Mein mati hin malin dukharikarhu kaun vidhi vinye tumhari,
Bajat ‘ramasundar’ prabhudasaJag prayag, kakra, durvasa,
Ab prabhu daya deen par kijeapni bhagati shakti kuchu dije !!
ll Doha ll
!! Shri Ganesh yeh chalisa, path kare kar dhyan,
Nit nav mangal greh base, lahe jagat sanman,
Sambandh apne sehstradash, rishi panchami dinesh,
Puran chalisa bhaeo, mangal murti ganesh !!